देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शनिवार को राज्य सरकार ने विनियोग विधेयक के साथ-साथ 29 महत्वपूर्ण विभागों के बजट को मंजूरी दिलाई। इस दौरान सदन में कई मुद्दों पर गहन चर्चा हुई, जिसमें विपक्ष ने कुछ विभागों की खराब प्रदर्शन पर सवाल उठाए और बजट कटौती प्रस्ताव भी पेश किए। हालांकि, सदन में बहुमत सरकार के पक्ष में होने के कारण विपक्ष के प्रस्ताव पारित नहीं हो सके।
विभागवार बजट आवंटन: किसे कितना मिला?
विधानसभा में पारित बजट के तहत विभिन्न विभागों के लिए कुल हजारों करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई। राज्य के विकास को गति देने के उद्देश्य से यह बजट विभिन्न क्षेत्रों में खर्च किया जाएगा। आइए जानते हैं, किन विभागों को कितनी राशि मिली:
मुख्य विभाग और स्वीकृत बजट राशि:
- वित्त, कर, नियोजन, सचिवालय और अन्य सेवाएं: ₹18,190.74 करोड़
- शिक्षा, खेल, युवा कल्याण और संस्कृति: ₹11,909.19 करोड़
- चिकित्सा एवं परिवार कल्याण: ₹4,292.95 करोड़
- ग्राम्य विकास: ₹2,856.02 करोड़
- लोक निर्माण विभाग (PWD): ₹2,882.08 करोड़
- पुलिस और जेल: ₹3,003.70 करोड़
- जलापूर्ति, आवास एवं नगर विकास: ₹3,967.03 करोड़
- कृषि और अनुसंधान: ₹1,259.94 करोड़
- पर्यटन विभाग: ₹478.76 करोड़
- ऊर्जा विभाग: ₹1,659.59 करोड़
- परिवहन: ₹396.94 करोड़
- राजस्व एवं सामान्य प्रशासन: ₹2,500 करोड़
- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति: ₹937.54 करोड़
- औद्यानिक विकास: ₹653.07 करोड़
- सूचना विभाग: ₹406.46 करोड़
- अनुसूचित जनजाति विकास: ₹2,555.93 करोड़
बजट सत्र में विपक्ष का विरोध और सरकार की सफाई
बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने कई विभागों की कार्यशैली और वित्तीय अनियमितताओं पर सवाल उठाए। कांग्रेस विधायकों ने कुछ विभागों के बजट में कटौती का प्रस्ताव रखा, लेकिन सरकार की संख्याबल की मजबूती के चलते सभी बजट प्रस्ताव बिना किसी बाधा के पारित हो गए।
सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि यह बजट राज्य की आर्थिक मजबूती, बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देता है। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि यह बजट उत्तराखंड के समग्र विकास का रोडमैप है और इसमें हर वर्ग, हर क्षेत्र और हर योजना का समावेश किया गया है।
उत्तराखंड विधानसभा में पारित यह बजट सरकार की विकास योजनाओं को मजबूती देगा। बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए यह बजट महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। हालांकि, विपक्ष की आपत्तियों और कुछ विभागों की कार्यशैली पर उठे सवालों को देखते हुए सरकार के लिए इन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन एक चुनौती होगी।