देहरादून : दून की सड़कों पर नशे का जाल बिछाने वालों के खिलाफ दून पुलिस ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है। सहसपुर थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक नशा तस्कर को धर दबोचा, जिसके पास से 1 किलो 46 ग्राम अवैध चरस बरामद हुई। यह कार्रवाई उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की “ड्रग्स फ्री देवभूमि 2025” की मुहिम को सफल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, इस घटना की पूरी कहानी को करीब से जानते हैं और समझते हैं कि पुलिस कैसे नशे के सौदागरों को जड़ से उखाड़ने में जुटी है।
पहाड़ों से देहरादून तक नशे का कारोबार
पकड़ा गया तस्कर राकेश दास, उत्तरकाशी के बड़कोट का रहने वाला है। 38 साल का यह शख्स पहाड़ी इलाकों से चरस लाकर देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में सप्लाई करता था। पुलिस को मुखबिर से मिली पक्की जानकारी के बाद शंकरपुर के मंदिर के पास चेकिंग के दौरान उसे पकड़ा गया।
जब उसकी तलाशी ली गई, तो बैग से भारी मात्रा में चरस बरामद हुई। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह इस चरस को नशे के आदी लोगों को बेचने की योजना बना रहा था। यह खुलासा नशे के इस काले धंधे की गहरी जड़ों को उजागर करता है, जो पहाड़ों से लेकर शहरों तक फैला हुआ है।
पुलिस की मुस्तैदी और मुख्यमंत्री का संकल्प
उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाने का सपना अब केवल बातों तक सीमित नहीं है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने सभी थानों को सख्त निर्देश दिए हैं कि नशा तस्करों पर नकेल कसी जाए और नशे की लत में फंसे लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए काउंसलिंग की जाए।
इसी कड़ी में सहसपुर पुलिस ने एक विशेष टीम बनाई, जिसने स्थानीय सूत्रों की मदद से इस तस्कर को पकड़ने में सफलता हासिल की। 28 मार्च 2025 को हुई इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि दून पुलिस नशे के खिलाफ जंग में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
कानून का शिकंजा और भविष्य की राह
राकेश दास के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। यह कानूनी कार्रवाई नशा तस्करों के लिए सख्त संदेश है कि उत्तराखंड में उनके लिए कोई जगह नहीं है। पुलिस की यह मुहिम न सिर्फ तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचा रही है, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैला रही है। आने वाले दिनों में ऐसी कार्रवाइयाँ और तेज होने की उम्मीद है, ताकि “ड्रग्स फ्री देवभूमि” का लक्ष्य समय से पूरा हो सके।
आम लोगों के लिए सबक
यह घटना हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि नशा सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए अभिशाप है। अगर हम सब मिलकर इस बुराई के खिलाफ आवाज उठाएंगे और पुलिस का साथ देंगे, तो निश्चित ही हम अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे। दून पुलिस की यह सफलता हर नागरिक के लिए प्रेरणा है कि नशे के खिलाफ लड़ाई में उनकी भी भूमिका अहम है।