Haridwar News : हरिद्वार के शराय क्षेत्र के नजदीक हरिलोक कॉलोनी में एक बार फिर प्रशासन का बुलडोजर गरजा। इस बार निशाने पर थी सिंचाई विभाग की जमीन पर बनी एक अवैध मजार, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देशों के बाद ध्वस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई उत्तराखंड में अवैध धार्मिक संरचनाओं के खिलाफ चल रहे व्यापक अभियान का हिस्सा है।
कुछ दिन पहले जिला प्रशासन ने इस मजार को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था, और समय सीमा खत्म होते ही बुलडोजर ने अपना काम शुरू कर दिया। इस दौरान इलाके में भारी पुलिस बल तैनात रहा ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। मौके पर एसडीएम अजय वीर सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने कार्रवाई को सुचारू रूप से पूरा करवाया।
अवैध निर्माण पर कड़ा प्रहार, आगे भी जारी रहेगा अभियान
प्रशासन ने साफ कर दिया है कि सरकारी जमीन पर बने किसी भी अवैध निर्माण को बख्शा नहीं जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका मकसद सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराना है। हरिद्वार जिला प्रशासन ने इस कार्रवाई को एक नीतिगत कदम बताया और कहा कि आने वाले दिनों में ऐसी और संरचनाओं पर नजर रखी जाएगी।
स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे शांति बनाए रखें और प्रशासन के इस प्रयास में सहयोग करें। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम न सिर्फ सरकारी संपत्ति की रक्षा करेगा, बल्कि कानून के प्रति सम्मान को भी बढ़ाएगा।
हरिद्वार में अब तक 10 मदरसे सील, कार्रवाई का सिलसिला जारी
हरिद्वार के एसडीएम अजय वीर सिंह ने बताया कि जिले में अब तक एक दर्जन से ज्यादा अवैध मजारों को ढहाया जा चुका है। इसके अलावा, अवैध रूप से चल रहे 10 मदरसों को भी सील कर दिया गया है। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। बीते 27 मार्च को सुमन नगर क्षेत्र में भी एक अवैध मजार को प्रशासन ने ध्वस्त किया था, जो सिंचाई विभाग की जमीन पर बना था।
उस दौरान भी भारी पुलिस बल की मौजूदगी में कार्रवाई को अंजाम दिया गया। उत्तराखंड सरकार को मिली एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे प्रदेश में करीब 500 अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनमें से अब तक 136 को सील किया जा चुका है।
सरकार और प्रशासन का संकल्प: अतिक्रमण मुक्त उत्तराखंड
यह अभियान न केवल हरिद्वार तक सीमित है, बल्कि पूरे उत्तराखंड में एक बड़े बदलाव की शुरुआत है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बार-बार दोहराया है कि सरकारी जमीन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हरिलोक कॉलोनी की इस ताजा कार्रवाई से यह संदेश साफ है कि प्रशासन अपने इरादों में पूरी तरह गंभीर है।
लोगों के बीच इस अभियान को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, लेकिन प्रशासन का कहना है कि यह कदम लंबे समय में समाज और व्यवस्था के हित में होगा।