Uttarakhand News : उत्तराखंड की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। नैनीताल हाईकोर्ट ने कांग्रेस के दिग्गज नेता हरक सिंह रावत से जुड़े एक बड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उनकी संपत्ति को कुर्क करने की बात थी। यह मामला करोड़ों की जमीन और ट्रस्ट से जुड़ा है, जिस पर ईडी ने गंभीर आरोप लगाए थे। कोर्ट के इस फैसले ने न सिर्फ हरक सिंह के लिए राहत की सांस दी है, बल्कि सियासी गलियारों में भी चर्चाओं को हवा दे दी है। आइए, इस खबर को करीब से समझते हैं।
क्या है पूरा मामला?
बात शुरू होती है 20 जनवरी से, जब ईडी ने श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट की 70 करोड़ रुपये की 101 बीघा जमीन को अस्थायी रूप से कुर्क करने का आदेश जारी किया था। इस ट्रस्ट के तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस चलाया जा रहा है। ईडी का दावा था कि यह ट्रस्ट हरक सिंह रावत के परिवार और करीबी दोस्तों के नियंत्रण में है।
इतना ही नहीं, जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि हरक की पत्नी दीप्ति रावत ने साजिश के तहत बेहद कम कीमत पर यह जमीन खरीदी थी। इन आरोपों के बाद ट्रस्ट ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और ईडी के फैसले को चुनौती दी।
कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
नैनीताल हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने पाया कि ईडी ने कुर्की के आदेश में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 5(1) बी का पालन नहीं किया। इस आधार पर कोर्ट ने ईडी के आदेश को गलत ठहराते हुए उस पर रोक लगा दी। साथ ही, ईडी और अन्य पक्षों को दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी, जिस पर सबकी नजरें टिकी हैं।
आम लोगों के लिए क्यों अहम है यह खबर?
यह मामला सिर्फ हरक सिंह रावत या ईडी की कार्रवाई तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि बड़े नेताओं और उनकी संपत्ति से जुड़े मामलों में पारदर्शिता कितनी बरती जाती है। अगर आप उत्तराखंड में रहते हैं या सियासत में रुचि रखते हैं, तो यह खबर आपके लिए इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि यह भ्रष्टाचार और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर बहस छेड़ती है। कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ हरक सिंह के लिए अहम है, बल्कि उन लोगों के लिए भी सबक है जो कानून के दायरे में रहकर अपनी बात रखना चाहते हैं।
अब सबकी नजरें 14 मई की सुनवाई पर हैं। क्या ईडी अपने जवाब में नए सबूत पेश कर पाएगी? या कोर्ट का यह अंतरिम फैसला हरक सिंह के लिए स्थायी राहत बन जाएगा? यह वक्त ही बताएगा। तब तक, यह मामला सियासी और कानूनी गलियारों में गर्माहट बनाए रखेगा। अगर आपको इस तरह की खबरों में दिलचस्पी है, तो हमारे साथ बने रहें, क्योंकि हम आपके लिए हर अपडेट आसान और भरोसेमंद भाषा में लाते रहेंगे।