Dehradun News : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने संस्थापक और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता स्वर्गीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जन्म जयंती पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रदेशभर में आयोजित विचार गोष्ठियों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके विचारों, बलिदान और देश की एकता के लिए उनके योगदान को याद किया।
देहरादून में आयोजित एक मुख्य समारोह में प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का “एक देश, एक पहचान” का मंत्र आज भी भारत को शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रेरित कर रहा है। उनके बलिदान ने कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देहरादून के बलबीर रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने डॉ. मुखर्जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने देश के विभाजन की नीयत को सबसे पहले समझा और उसका कड़ा विरोध किया।
उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत ने बंगाल, असम और पूर्वोत्तर भारत को देश का हिस्सा बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भट्ट ने बताया कि जब तत्कालीन अल्पसंख्यक समुदाय पाकिस्तान के साथ जाने की बात कर रहा था, तब डॉ. मुखर्जी ने भारतीय संस्कृति को राष्ट्रवाद से जोड़कर लोगों को एकजुट किया। यही विचारधारा जनसंघ और बाद में भाजपा का आधार बनी, जिसके बल पर आज भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।
डॉ. मुखर्जी के कश्मीर के प्रति समर्पण को याद करते हुए भट्ट ने कहा कि उन्होंने देश के किसी भी नए विभाजन को स्वीकार नहीं किया। तत्कालीन नेहरू सरकार की नीतियों के कारण कश्मीर में अलग झंडा, संविधान और पीएम की व्यवस्था लागू थी। इसके खिलाफ डॉ. मुखर्जी ने वीजा परमिट कानून का उल्लंघन कर अपने प्राणों का बलिदान दिया, जिसके परिणामस्वरूप यह काला कानून समाप्त हुआ।
उनकी इस नीति को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने धारा 370 को हटाकर कश्मीर में शांति और एकता स्थापित की। भट्ट ने जोर देकर कहा कि आज विकसित भारत का निर्माण डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रवादी विचारों की देन है।
इस अवसर पर प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का बलिदान और उनके विचार भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे उनके रास्ते पर चलकर राष्ट्र और समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। अजेय ने कहा कि भले ही आज बलिदान देने का समय नहीं है, लेकिन उनके विचारों को अपनाकर भारत के गौरव को बढ़ाने का दायित्व हम सबका है। उन्होंने डॉ. मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों को अपनाकर अगले 50 वर्षों के लिए भारत के विकास का लक्ष्य तय करने की बात कही।
राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष नरेश बंसल ने डॉ. मुखर्जी की रहस्यमयी मृत्यु को याद करते हुए कहा कि इसने देश में राष्ट्रवादी विचारधारा को नई ताकत दी। उनके नारे “जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है” ने कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने में जनमानस की सोच को बदला। बंसल ने कहा कि धारा 370 और 35A हटने के बाद कश्मीर वास्तव में भारत का हिस्सा बना है। उन्होंने विश्वास जताया कि पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) को भी जल्द ही भारत में शामिल किया जाएगा।
विचार गोष्ठी में उपस्थित कार्यकर्ताओं और नेताओं ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की। समारोह में सरकार में दायित्वधारी ज्योति प्रसाद गैरोला ने कहा कि आजादी के बाद देश की एकता के लिए पहला बलिदान डॉ. मुखर्जी का था।
इस दौरान राजपुर विधायक खजान दास, विनय गोयल, डॉ. आदित्य कुमार, अनिल गोयल और सुभाष बड़थ्वाल ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने किया, जिसमें प्रदेश कोषाध्यक्ष पुनीत मित्तल, उपाध्यक्ष शैलेंद्र बिष्ट, मुकेश कोली, मंत्री आदित्य चौहान, कार्यालय सचिव कुस्तुभानंद जोशी, मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान, सह मीडिया प्रभारी राजेंद्र नेगी, संजीव वर्मा, प्रवक्ता कमलेश रमन, सुनीता विद्यार्थी, जोगेंद्र पुंडीर और जोत सिंह बिष्ट सहित कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद रहे।