Uttarakhand News : उत्तराखंड में मानसून ने एक बार फिर कहर बरपाया है। भारी बारिश और भूस्खलन ने राज्य के कई हिस्सों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खास तौर पर यमुनोत्री हाईवे समेत प्रदेश की 67 सड़कें मलबे और भू-धंसाव के कारण बंद पड़ी हैं।
सड़कों को खोलने के लिए प्रशासन और एनएच विभाग दिन-रात जुटे हैं, लेकिन लगातार बारिश राहत कार्यों में रोड़ा बन रही है। मौसम विज्ञान केंद्र ने रविवार, 6 जुलाई को रुद्रप्रयाग, टिहरी, बागेश्वर और देहरादून में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि अन्य जिलों में येलो अलर्ट लागू है। यात्रियों और स्थानीय लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।
यमुनोत्री हाईवे पर राहत कार्य
यमुनोत्री हाईवे पर ओजरी के पास सड़क का एक हिस्सा 28 जून को बारिश के कारण बह गया था। एनएच विभाग ने इस क्षेत्र में 24 मीटर लंबे बैली ब्रिज का निर्माण शुरू किया है। मौसम के साथ देने पर निर्माण कार्य में तेजी लाई गई है। इसके अलावा, स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर बनी झील के मुहाने से मलबा हटाने का काम भी सिंचाई विभाग ने तेज कर दिया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि सड़क को जल्द से जल्द खोलने की कोशिश की जा रही है, ताकि चारधाम यात्रा और स्थानीय आवागमन सुचारू हो सके।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, उत्तराखंड में बारिश के बाद भूस्खलन ने कई जिलों में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है। उत्तरकाशी में यमुनोत्री हाईवे सहित 11 ग्रामीण सड़कें, चमोली में एक राज्य मार्ग और 21 ग्रामीण सड़कें, रुद्रप्रयाग में चार ग्रामीण सड़कें, नैनीताल में दो, पिथौरागढ़ में छह, अल्मोड़ा में एक राजमार्ग और एक ग्रामीण सड़क, बागेश्वर में 11, पौड़ी गढ़वाल में तीन, देहरादून में दो और टिहरी में तीन ग्रामीण सड़कें बंद हैं। इन सड़कों को खोलने के लिए जेसीबी और अन्य भारी मशीनें लगातार काम कर रही हैं, लेकिन बारिश की वजह से मलबा बार-बार सड़कों पर जमा हो रहा है।
मौसम विज चारधाम यात्रा पर भी भारी पड़ रहा है। यमुनोत्री हाईवे के बंद होने से तीर्थयात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने यात्रियों से अनावश्यक यात्रा से बचने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है, जिससे भूस्खलन और जलभराव का खतरा बना रहेगा।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलों में 24 घंटे कंट्रोल रूम सक्रिय रखे हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और लोक निर्माण विभाग की टीमें अलर्ट पर हैं। स्थानीय लोग और यात्री इस प्राकृतिक आपदा के बीच धैर्य और सावधानी बरतने को मजबूर हैं।