Uttarakhand Panchayat Election 2025 : उत्तराखंड में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों और नगर निकाय चुनावों की मतदाता सूची को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इस मुद्दे पर राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर गंभीर चिंता जताई है।
उनका कहना है कि कई ऐसे मतदाता, जिनके नाम नगर निकाय और पंचायत दोनों की वोटर लिस्ट में शामिल हैं, वे न सिर्फ मतदान कर रहे हैं, बल्कि पंचायत चुनावों में नामांकन भी दाखिल कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाती है। माहरा ने आयोग से मांग की है कि ऐसे लोगों को तुरंत नामांकन से रोका जाए, अन्यथा कांग्रेस कोर्ट का रुख करने को मजबूर होगी।
नियमों का उल्लंघन और मतदाता सूची में गड़बड़ी
करन माहरा ने अपने पत्र में सितंबर 2019 के संशोधन अधिनियम और 10 दिसंबर 2019 के आदेश का हवाला दिया है। सितंबर 2019 के आदेश के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति नगर निकाय चुनाव में मतदान करता है, तो वह दूसरी जगह भी वोट दे सकता है।
हालांकि, दिसंबर 2019 में धारा नौ के तहत एक नया आदेश पारित हुआ, जिसमें स्पष्ट किया गया कि जिन लोगों के नाम नगर निकाय या शहरी क्षेत्रों की मतदाता सूची में हैं, उन्हें ग्राम सभा की वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने से पहले शहरी सूची से अपना नाम हटवाना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने से रोका जाएगा। माहरा का कहना है कि इस नियम का पालन नहीं हो रहा, जिसके चलते कई लोग दोनों सूचियों में नाम होने का फायदा उठा रहे हैं।
क्या है मामला?
उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में कई मतदाता ऐसे हैं, जिनके नाम नगर निकाय की वोटर लिस्ट में पहले से मौजूद हैं और उन्होंने बीते निकाय चुनावों में मतदान भी किया है। अब यही लोग पंचायत चुनावों में न सिर्फ वोट डाल रहे हैं, बल्कि कुछ मामलों में प्रत्याशी के रूप में नामांकन भी दाखिल कर रहे हैं।
माहरा ने इसे नियमों की खुली अवहेलना बताया और कहा कि इससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने आयोग से मांग की है कि 10 दिसंबर 2019 के आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
कांग्रेस का अगला कदम
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो पार्टी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। माहरा ने कहा कि यह मुद्दा केवल नियमों के पालन का ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने का भी है। उन्होंने आयोग से अपील की है कि वह इस गड़बड़ी को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाए, ताकि पंचायत और निकाय चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो सकें।