DM Savin Bansal : जरा सोचिए, एक साल तक दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी अपनी जमीन का हक न मिले, तो कितनी निराशा होती होगी? यही हुआ देहरादून के ओगल भट्टा की रहने वाली किरन देवी के साथ। लेकिन, जैसे ही मामला जिलाधिकारी सविन बसंल के सामने आया, उनकी तेज-तर्रार कार्रवाई ने किरन को उनका हक दिला दिया। आइए, जानते हैं इस दिलचस्प कहानी को!
एक साल की परेशानी, वकीलों ने लटकाया
किरन देवी ने 01 अगस्त 2025 को जिलाधिकारी कार्यालय में अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि उनके पति अर्द्धसैनिक बल में कार्यरत हैं और जून 2024 में उन्होंने शीशमबाड़ा में 0.00082 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। लेकिन, इसके बाद शुरू हुआ दफ्तरों और वकीलों का चक्कर। किरन ने बताया कि वकील और पीएनबी एजेंट उन्हें बार-बार गुमराह करते रहे। कोई सही जवाब नहीं देता था, और दाखिल-खारिज का काम एक साल तक अटका रहा। किरन की हिम्मत टूट रही थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सीधे जिलाधिकारी से गुहार लगाई।
डीएम का धमाकेदार एक्शन
जिलाधिकारी सविन बसंल ने किरन की फरियाद सुनी और तुरंत एक्शन लिया। उन्होंने तहसीलदार विकासनगर को उसी दिन मामले की पूरी रिपोर्ट देने का आदेश दिया। डीएम के सख्त निर्देशों के बाद तहसील ने तेजी दिखाई और मात्र तीन दिन में किरन के नाम जमीन का दाखिल-खारिज कर दिया गया। अब किरन के चेहरे पर खुशी है, क्योंकि उनकी जमीन आधिकारिक रूप से उनके नाम दर्ज हो चुकी है।
जनहित में डीएम की सख्ती
जिलाधिकारी ने साफ कर दिया कि निर्विवाद विरासत और दाखिल-खारिज जैसे मामलों में तय समयसीमा के भीतर कार्रवाई होनी चाहिए। यह घटना देहरादून जिला प्रशासन की जनहित में तेजी से काम करने की मिसाल है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रशासन लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे आम लोगों को तुरंत राहत मिले। किरन का मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है।
किरन की उम्मीदें पूरी
किरन ने बताया कि दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते वो थक चुकी थीं। उन्हें लगने लगा था कि शायद उनका हक कभी नहीं मिलेगा। लेकिन, डीएम के हस्तक्षेप ने उनकी उम्मीदों को नया जीवन दिया। अब उनकी जमीन उनके नाम पर है, और वो जिलाधिकारी के इस त्वरित फैसले की तारीफ करते नहीं थक रही हैं।