7 Sep 2025, Sun

Uttarakhand Electricity Tariff : बिजली बिल पर उपभोक्ताओं को राहत, बिजली नहीं होगी महंगी

Uttarakhand Electricity Tariff : उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत की खबर है! उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने यूपीसीएल की उस पुनर्विचार याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें उसने 674.77 करोड़ रुपये की कैरिंग कॉस्ट की मांग की थी। आयोग ने इसे पूरी तरह निराधार करार दिया। इससे साफ है कि प्रदेश में बिजली की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, और आम लोगों को अतिरिक्त बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।

यूपीसीएल की मांग पर आयोग का कड़ा रुख

यूपीसीएल ने 11 अप्रैल को जारी टैरिफ आदेश पर पुनर्विचार के लिए यह याचिका दायर की थी। इसमें उसने अपने खर्चों की भरपाई के लिए 674.77 करोड़ रुपये की मांग की थी। लेकिन आयोग ने साफ कर दिया कि इस मांग का कोई ठोस आधार नहीं है। यूपीसीएल ने यह भी दावा किया था कि 129.09 करोड़ रुपये के डिले पेमेंट सरचार्ज (डीपीएस) को टैरिफ में शामिल नहीं करना चाहिए, क्योंकि 2012 में राज्य सरकार ने निगम से लेन-देन में डीपीएस न लेने का फैसला किया था।

लेकिन आयोग की पीठ, जिसमें अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि सरकार हो या उपभोक्ता, नियम सबके लिए एक हैं। इसलिए, डीपीएस को टैरिफ का हिस्सा माना जाएगा। इससे न सिर्फ टैरिफ में कमी आएगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।

लाइन लॉस में सुधार की चुनौती

आयोग के सामने यूपीसीएल का अगले तीन साल का बिजनेस प्लान भी चर्चा में रहा। इस प्लान में लाइन लॉस (बिजली की हानि) को कम करने का लक्ष्य एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। यूपीसीएल ने 2025-26 के लिए 13.50% लाइन लॉस का दावा किया था, लेकिन आयोग ने इसे 12.75% तक सीमित कर दिया। इसी तरह, 2026-27 में 13.21% के दावे को 12.25% और 2027-28 में 12.95% के दावे को 11.75% मंजूर किया गया। यानी, यूपीसीएल को अगले तीन साल में लाइन लॉस को 11.75% तक लाना होगा, जो उसके लिए आसान नहीं होगा।

पिछले प्रदर्शन पर भी सवाल

आयोग ने यूपीसीएल के पिछले प्रदर्शन पर भी सवाल उठाए। पिछले तीन साल में यूपीसीएल का लाइन लॉस लक्ष्य से कहीं ज्यादा रहा है। 2021-22 में लक्ष्य 13.75% था, लेकिन नुकसान 14.70% हुआ। 2022-23 में 13.50% के लक्ष्य के मुकाबले 16.39% और 2023-24 में 13.25% के लक्ष्य के मुकाबले 15.63% नुकसान दर्ज किया गया। आयोग ने माना कि यूपीसीएल की याचिका में कोई नया तथ्य या ठोस आधार नहीं है, इसलिए इसे खारिज कर दिया गया।

जनता की राय का भी असर

आपको बता दें कि 5 अगस्त को आयोग ने इस याचिका पर जनसुनवाई भी की थी। इस दौरान हितधारकों ने यूपीसीएल की मांग का जमकर विरोध किया था। लोगों की राय और आयोग के तथ्यपरक विश्लेषण के बाद यह फैसला लिया गया। यह खबर उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत की सांस लेकर आई है, क्योंकि बिजली बिल में बढ़ोतरी का डर अब खत्म हो गया है।

By Ganga

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