Uttarakhand Exclusive : उत्तराखंड की मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, जो जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान करने का वादा करती थी, अब लोगों के लिए सिर्फ़ एक काग़ज़ी खानापूरी बनकर रह गई है।
अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने इस हेल्पलाइन को “जनता की उम्मीदों के साथ धोखा” करार देते हुए इसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह हेल्पलाइन अब सिर्फ़ दिखावे का साधन बन गई है, जिससे आम लोगों का भरोसा टूट रहा है।
हेल्पलाइन की हकीकत: शिकायतें ठंडे बस्ते में
संजय पाण्डे ने बताया कि हेल्पलाइन का मकसद था जनता को पारदर्शी और तेज़ समाधान देना, लेकिन अब यह सिर्फ़ काग़ज़ी औपचारिकता तक सिमट गई है। अधिकारियों द्वारा शिकायतों को बिना हल किए ही “स्पेशल क्लोज़” कर दिया जा रहा है। उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि राज्यपाल के अनु सचिव द्वारा L4 स्तर पर भेजी गई एक शिकायत को L3 स्तर के अधिकारी ने बिना किसी कार्रवाई के बंद कर दिया। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय से भेजी गई दो शिकायतें भी इसी तरह ठंडे बस्ते में डाल दी गईं।
दो साल से लटकी शिकायतें, कोई सुनवाई नहीं
संजय पाण्डे ने हेल्पलाइन की नाकामी को उजागर करते हुए कुछ खास शिकायतों का ज़िक्र किया।
शिकायत नंबर CHML 0820238432564 (24 अगस्त 2023)
शिकायत नंबर CHML 0920238448554 (26 सितंबर 2023)
ये दोनों शिकायतें पिछले दो साल से लंबित हैं, और इनका कोई समाधान नहीं हुआ।
इसी तरह, शिकायत नंबर CHML 032025870316 (8 मार्च 2025) का भी कोई हल नहीं निकला है। पाण्डे का कहना है कि अल्मोड़ा के जिलाधिकारी ने इन मामलों में कोई रुचि नहीं दिखाई, जिससे लोगों में नाराज़गी बढ़ रही है।
सिर्फ़ चुनिंदा लोगों की सुनवाई, आम जनता निराश
पाण्डे ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन केवल कुछ खास लोगों की शिकायतों पर ध्यान देती है, जबकि आम जनता की समस्याओं को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। जिले के अधिकारी हेल्पलाइन की समीक्षा तक नहीं करते, जिसके चलते लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। पाण्डे का कहना है कि इस तरह की लापरवाही से हेल्पलाइन की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार की साख दांव पर, जनता का भरोसा डगमगाया
संजय पाण्डे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो जनता का सरकार पर से भरोसा पूरी तरह उठ जाएगा। यह स्थिति सरकार की साख के लिए सीधा खतरा बन सकती है। पाण्डे ने कहा, “जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।”