Uttarakhand News : नकली दवाओं का गोरखधंधा चलाने वाले गिरोह के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने कड़ा प्रहार किया है। इस गिरोह के 12 सदस्यों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। ताजा कार्रवाई में पंजाब के जीरकपुर से एक पति-पत्नी की जोड़ी को हिरासत में लिया गया है, जो ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवाएं बनाकर उत्तराखंड समेत छह अन्य राज्यों में सप्लाई करते थे।
यह कार्रवाई नकली दवाओं के इस खतरनाक खेल को रोकने की दिशा में बड़ा कदम है, जो न केवल लोगों की सेहत के लिए खतरा है, बल्कि सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है।
जीवन रक्षक दवाओं की नकल, सेहत और अर्थव्यवस्था को नुकसान
ब्रांडेड दवा कंपनियों की जीवन रक्षक दवाओं की हूबहू नकल कर बाजार में बेचने की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं। ये नकली दवाएं न केवल मरीजों की जान को खतरे में डाल रही थीं, बल्कि सरकारी राजस्व को भी करोड़ों का चूना लगा रही थीं।
इस गंभीर मामले को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी दीपम सेठ ने STF को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। एसएसपी STF नवनीत सिंह भुल्लर ने अपनी टीम को इस गिरोह की पूरी कुंडली तैयार करने और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाने का आदेश दिया।
कैसे चलता था नकली दवाओं का धंधा?
एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि 1 जून 2025 को STF ने नकली दवाओं के रैपर, आउटर बॉक्स, लेबल और QR कोड की भारी मात्रा के साथ संतोष कुमार नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया था।
इस मामले में देहरादून के सेलाकुई थाने में केस दर्ज किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच STF को सौंप दी गई। अब तक इस गिरोह के 10 अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें पांच दवा कंपनियों के मालिक और प्लॉट हेड शामिल हैं।
पति-पत्नी का काला कारोबार
STF की जांच में खुलासा हुआ कि मुख्य अभियुक्त प्रदीप कुमार ने 2023 में नवीन बंसल उर्फ अक्षय के साथ मिलकर नकली दवाओं का धंधा शुरू किया था। प्रदीप ने अपनी पत्नी श्रुति डावर के नाम से सांई फार्मा नाम की फर्जी फर्म खोली। यह गिरोह देहरादून के सेलाकुई से नकली दवाओं के आउटर बॉक्स बनवाता था और V-Trans ट्रांसपोर्ट के जरिए इन्हें राजस्थान के भिवाड़ी भेजता था। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश के बद्दी से विजय कुमार पांडे की फर्म SV Foil से नकली एल्यूमिनियम फॉयल तैयार करवाया जाता था।
दवाओं को पैक करने के लिए ये लोग देहरादून और हरिद्वार की फैक्ट्रियों से नकली दवाएं बनवाते थे और फिर इन्हें भिवाड़ी भेजकर ब्लिस्टर मशीन से पैक करते थे। इसके बाद पंचकुला की नोबल फार्मेसी की एम्बुलेंस के जरिए ये दवाएं अलग-अलग राज्यों में सप्लाई की जाती थीं। प्रदीप कुमार का पानीपत में AP मेडिकोज नाम का मेडिकल स्टोर भी है, जहां से वह नकली दवाओं की सप्लाई करता था। इतना ही नहीं, 2021 में कोरोना काल के दौरान प्रदीप को पानीपत पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में जेल भेजा था।
14 करोड़ का लेन-देन, छह राज्यों में सप्लाई
STF की जांच में सामने आया कि प्रदीप की फर्जी फर्म सांई फार्मा के बैंक खाते में पिछले दो साल में करीब 14 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। ये नकली दवाएं उत्तराखंड समेत छह राज्यों के मेडिकल स्टोरों में सप्लाई की गईं। STF इस मामले में और गहराई से जांच कर रही है ताकि इस गिरोह के अन्य सदस्यों का भी पता लगाया जा सके।
गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण
प्रदीप कुमार, पुत्र हंसराज, निवासी- सेक्टर 13/17, पानीपत, हरियाणा, हाल निवासी- अपटाउन स्कैला सिटी, जीरकपुर, पंजाब।
श्रुति डावर, पत्नी प्रदीप कुमार, निवासी- सेक्टर 13/17, पानीपत, हरियाणा, हाल निवासी- अपटाउन स्कैला सिटी, जीरकपुर, पंजाब।
आपराधिक इतिहास
प्रदीप कुमार के खिलाफ 2021 में पानीपत में नकली रेमडेसिविर बेचने का एक केस दर्ज है। अन्य राज्यों से भी उसका आपराधिक रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई
उत्तराखंड STF की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई से नकली दवाओं के इस काले कारोबार पर बड़ा प्रहार हुआ है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए उनकी टीमें लगातार काम कर रही हैं ताकि आम लोगों की सेहत को कोई नुकसान न पहुंचे।