देहरादून : हाल ही में उत्तराखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सचिवालय में आयोजित व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की बैठक में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को मंजूरी दी। इस बैठक में राज्य के विकास को नई दिशा देने वाली परियोजनाओं पर चर्चा हुई, जिनमें सड़क निर्माण से लेकर शैक्षिक संस्थानों के भवनों तक शामिल हैं।
लेकिन जो बात सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है, वह है उनका पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने पर जोर। श्रीमती रतूड़ी ने साफ निर्देश दिए कि सभी भवन निर्माण कार्यों में ग्रीन बिल्डिंग, सोलर पावर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियमों का सख्ती से पालन हो। क्या यह कदम उत्तराखंड को सतत विकास की ओर ले जाएगा? यह सवाल हर किसी के मन में है।
बैठक में कई परियोजनाओं को हरी झंडी मिली। पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर में 1044.94 लाख रुपये की लागत से कौड़िया-किमसार वन मोटर मार्ग का सुदृढ़ीकरण होगा, जिससे स्थानीय लोगों और वन विभाग को आवागमन में आसानी होगी। वहीं, जी बी पंत इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संस्थान के पास 1516.13 लाख रुपये की बिल्केदार पम्पिंग पेयजल योजना का पुनर्गठन भी स्वीकृत हुआ।
इसके अलावा, राजकीय पॉलिटेक्निक सल्ट (1617.03 लाख रुपये), लोहाघाट (1061.17 लाख रुपये) और दन्या (1234.59 लाख रुपये) के भवन निर्माण को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं से दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रों को तकनीकी शिक्षा तक पहुंच आसान होगी। क्या आपको नहीं लगता कि यह पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में बड़ा कदम है?
श्रीमती रतूड़ी ने यह भी कहा कि निर्माण कार्यों में उत्तराखंड की स्थानीय वास्तु शैली का इस्तेमाल जरूरी है। यह न सिर्फ हमारी संस्कृति को जिंदा रखेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। देहरादून में न्यू कैंट मोटर मार्ग को 1171.56 लाख रुपये की लागत से दो लेन से 10.50 मीटर चौड़ा करने की योजना भी पास हुई।
दूसरी ओर, भराड़ीसैंण में पशुपालन विभाग के तहत 3003.05 लाख रुपये की योजना पर चर्चा हुई, जिसका मकसद डेयरी आधारित अर्थव्यवस्था और गाय आधारित पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस पर विस्तृत बातचीत के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक होगी।
मुख्य सचिव का यह रुख साफ है कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण और स्थानीयता पर ध्यान देना जरूरी है। सोलर पावर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसे कदम न केवल ऊर्जा संरक्षण करेंगे, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भी मजबूत हथियार बनेंगे। बैठक में मौजूद प्रमुख सचिव आर के सुधांशु और अन्य अधिकारियों ने भी इन योजनाओं को लागू करने में सहयोग का भरोसा दिया। अब सवाल यह है कि क्या इन योजनाओं का असर जमीनी स्तर पर दिखेगा, या यह只是 कागजों तक सीमित रह जाएगी?