देहरादून : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संसद में पेश की गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट का समर्थन करते हुए विपक्ष के विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वह तुष्टिकरण की राजनीति के चलते देशविरोधी कानून में संशोधन का विरोध कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने संविधान की भावना के विपरीत जाकर वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे विभाजनकारी कानून बनाए। बाद में वक्फ कानून में असीम शक्तियां देकर इसे भूमि विवादों का कारण बना दिया गया। लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार ने वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन का प्रयास किया, तो विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया और जेपीसी गठित करने की मांग की।
संविधानिक प्रक्रिया के बावजूद विपक्ष का हंगामा
महेंद्र भट्ट ने कहा कि सरकार ने संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया। लेकिन समिति की बैठकों में विपक्षी सांसदों ने बार-बार हंगामा किया। कई बार स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उनके घायल होने की नौबत आ गई।
जेपीसी ने छह महीने तक इस विषय पर चर्चा की, सभी पक्षों को सुना और अब संसद के दोनों सदनों में रिपोर्ट पेश कर दी गई है। लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने हंगामा और बहिष्कार तक ही खुद को सीमित रखा, जिससे यह साफ हो गया कि वे इस मुद्दे पर सार्थक चर्चा नहीं करना चाहते।
विपक्ष की राजनीति पर भाजपा का हमला
भट्ट ने कहा कि विपक्ष सिर्फ राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटा हुआ है और जनता को गुमराह करने के लिए रिपोर्ट में से उनके पक्ष को हटाने का झूठा आरोप लगा रहा है। जबकि संसदीय कार्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि रिपोर्ट से कोई जानकारी डिलीट नहीं की गई है।
उन्होंने विपक्ष के रवैये को गैरजिम्मेदाराना करार देते हुए कहा कि तुष्टिकरण की यह राजनीति देश को कमजोर कर रही है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और विपक्षी दल सदन के बाहर तो भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हैं, लेकिन सदन के अंदर भी वे देश तोड़ने वाली शक्तियों को समर्थन देने में लगे हैं।
संभावित प्रभाव और राजनीतिक माहौल
जेपीसी रिपोर्ट को लेकर संसद में मचे हंगामे के बाद देशभर में इस विषय पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। भाजपा जहां इसे संविधान और राष्ट्रहित के अनुरूप बता रही है, वहीं विपक्ष इसे जनविरोधी और भेदभावपूर्ण करार दे रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ सकता है।