उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी रास्तों में शुमार गजा-नकोट मोटरमार्ग आजकल सुर्खियों में है, लेकिन कारण है बेहद चिंताजनक। भलियालपानी के पास सड़क किनारे लगे सुरक्षा गार्डर अब जानलेवा खतरे का सबब बन चुके हैं। पुश्ता टूटने की वजह से ये गार्डर हवा में लटक रहे हैं, जिससे इस मार्ग पर चलने वाले वाहनों के लिए हर पल हादसे का डर बना हुआ है। खासकर रात के समय, जब अंधेरा छा जाता है, तब छोटे-बड़े वाहन चालकों को इस रास्ते पर चलना किसी जंग लड़ने से कम नहीं।
स्थानीय लोगों की बढ़ती चिंता
मूल निवास भूकानून समन्वय समिति, विकास खंड चम्बा के सहसंयोजक विलेंद्र सिंह असवाल ने इस गंभीर स्थिति को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया कि यह खतरा कोई नया नहीं है, बल्कि लंबे समय से इस सड़क पर हादसे का अंदेशा बना हुआ है। कुछ समय पहले कठूड निवासी वाहन चालक Mahabir Singh ने अपनी ओर से पहल करते हुए सड़क किनारे पत्थर रखे थे, ताकि रात में वाहन चालकों को किनारे का अंदाजा लग सके। लेकिन अब वे पत्थर भी हट चुके हैं, और खतरा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। असवाल ने सवाल उठाया कि आखिर प्रशासन और लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर इस लापरवाही पर चुप क्यों है?
लोक निर्माण विभाग की उदासीनता
विलेंद्र सिंह असवाल ने लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर की कार्यशैली पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि विभाग को कम से कम अस्थायी उपाय के तौर पर पत्थरों पर चूना डालकर या चेतावनी बोर्ड लगाकर खतरे का संकेत देना चाहिए था। लेकिन ऐसी कोई पहल नहीं की गई। असवाल ने मांग की है कि विभाग तुरंत इस स्थान पर पुश्ता निर्माण करे और सड़क को सुरक्षित बनाए। उन्होंने यह भी बताया कि भलियालपानी के अलावा इस मार्ग पर दो अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के खतरे मौजूद हैं, जो वाहन चालकों के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
मानसून से पहले सुधार जरूरी
उत्तराखंड में मानसून का आगमन सड़कों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होता है। असवाल ने चेतावनी दी कि अगर मानसून से पहले इस सड़क पर सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया गया, तो बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। स्थानीय लोगों और वाहन चालकों में इस लापरवाही को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami और लोक निर्माण विभाग इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लें और लोगों की जान-माल की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
जनता की पुकार, कब सुनेगा प्रशासन?
गजा-नकोट मोटरमार्ग पर यह स्थिति न केवल स्थानीय लोगों के लिए खतरा है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी चिंता का विषय है, जो उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ उठाने यहां आते हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक प्रशासन इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज करता रहेगा? क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है? स्थानीय निवासियों की मांग है कि सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए, ताकि इस मार्ग पर सफर करने वाले हर व्यक्ति की जान सुरक्षित रहे।