देहरादून :25 दिसंबर 2024 को चंद्र मोहन ठाकुर ने ऋषिकेश कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी पत्नी आशा देवी (54 वर्ष) 22 दिसंबर को द्विवेदी अस्पताल से बिना कुछ बताए लापता हो गईं। परिवार द्वारा खोजबीन के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद कोतवाली में गुमशुदगी केस (क्रमांक 104/2024) दर्ज किया गया। 15 जनवरी 2025 को मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे हत्या के केस (मु०अ०स० 23/2025, धारा 140(3) BNS) में तब्दील कर दिया गया।
सीसीटीवी फुटेज से पर्दाफाश
खोजबीन के दौरान पुलिस ने 250-300 CCTV कैमरों की जांच की। सीसीटीवी फुटेज में आशा देवी को संजय गुसाई (45 वर्ष) के साथ स्कूटी पर जाते देखा गया। संजय के घर छापेमारी की गई, लेकिन वह फरार था। इसी बीच 19 जनवरी को IDPL क्षेत्र में एक महिला का सड़ा हुआ शव मिला, जिसे परिजनों ने आशा देवी बताया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि हुई।
पुलिस मुठभेड़ और गिरफ्तारी
अभियुक्त की तलाश में एसएसपी देहरादून ने ₹10,000 का इनाम घोषित किया। 1 फरवरी की रात, ऋषिकेश के जंगलात बैरियर पर पुलिस ने एक बिना नंबर की बाइक पर सवार शख्स को रोकना चाहा, लेकिन वह भागने लगा। पीछा करने पर उसने पुलिस पर गोली चलाई, जिसके जवाबी फायर में उसके बाएं पैर में गोली लगी। अस्पताल ले जाए गए संजय के पास से 315 बोर का तमंचा और कारतूस बरामद हुए।
कबूलनामा: कैसे हुई हत्या?
पूछताछ में संजय ने बताया कि 22 दिसंबर को आशा देवी उससे झाड़-फूक वाले की तलाश में मिली थीं। शाम को आशा ने दोबारा फोन किया, और संजय उन्हें स्कूटी से IDPL के पार्किंग ग्राउंड ले गया। शराब के नशे में बहस होने पर संजय ने उन्हें धक्का दिया, जिससे वह पत्थर से टकराईं। डर के मारे उसने पत्थर से हमला करके गला दबाकर हत्या कर दी और शव को झाड़ियों में छिपा दिया।
अभियुक्त का आपराधिक रिकॉर्ड
संजय गुसाई के खिलाफ हत्या, लूट और नकबजनी समेत 27 केस दर्ज हैं। पुलिस उत्तराखंड और अन्य राज्यों में उसके आपराधिक इतिहास की जांच कर रही है।
पुलिस टीम की भूमिका
इस केस की सफल सुलझाई में कोतवाली ऋषिकेश और SOG की संयुक्त टीम ने अहम भूमिका निभाई। टीम में निरीक्षक राजेंद्र सिंह खोलिया, शंकर सिंह बिष्ट, विनोद कुमार समेत 21 सदस्य शामिल थे।