Dehradun Crime : देहरादून की सड़कों पर अब सिर्फ वाहनों का शोर ही नहीं, बल्कि पुलिस की सख्ती का असर भी सुनाई दे रहा है। हाल ही में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून के नेतृत्व में दून पुलिस ने एक अंतर्राज्यीय पशु चोर गिरोह को धर दबोचा, जिसने न सिर्फ देहरादून बल्कि आसपास के राज्यों में भी अपनी काली करतूतों से लोगों को परेशान कर रखा था। यह कार्रवाई न केवल स्थानीय लोगों के लिए राहत की सांस लेकर आई, बल्कि पुलिस की मुस्तैदी का एक शानदार उदाहरण भी पेश करती है।
चोरी की घटनाओं ने बढ़ाई थी चिंता
पिछले कुछ समय से देहरादून के विभिन्न थाना क्षेत्रों में पशु चोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही थीं। सहसपुर थाना क्षेत्र में 17 मार्च 2025 को एक स्थानीय निवासी राजकुमार ने शिकायत दर्ज की कि उनके घर के बाहर बंधा भैंस वंशीय पशु अज्ञात चोरों ने चुरा लिया। इस घटना के बाद पुलिस ने तुरंत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।
इसी बीच, जनपद के अन्य इलाकों से भी ऐसी शिकायतें सामने आईं, जिसने पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। एसएसपी देहरादून ने इसे गंभीरता से लेते हुए विशेष टीमों का गठन किया और अपराधियों को पकड़ने के लिए सख्त निर्देश जारी किए।
पुलिस की चतुराई से खुला राज
दून पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए तकनीक और मेहनत का बेहतरीन संगम दिखाया। टीम ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और सर्विलांस की मदद से संदिग्धों की जानकारी जुटाई। जांच के दौरान एक लोडर वाहन पुलिस के रडार पर आया, जो चोरी की घटनाओं में इस्तेमाल हो रहा था।
इसके बाद देहरादून, हरिद्वार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के करीब 1500 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की पड़ताल की गई। इस मेहनत का नतीजा यह हुआ कि पुलिस को पता चला कि यह एक संगठित अंतर्राज्यीय गिरोह का काम है, जो चुराए गए पशुओं को सस्ते दामों पर बेचने के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा ले जाता था।
चोरों पर कसा शिकंजा
27 मार्च 2025 को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने कुलहाल क्षेत्र में नदी किनारे एक संदिग्ध लोडर वाहन को पकड़ा। वाहन से तीन चुराए गए भैंस वंशीय पशु बरामद हुए और दो शातिर अपराधी, असलम और जीशान, मौके से गिरफ्तार किए गए। पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि वे अपने साथियों के साथ मिलकर देहरादून के अलग-अलग इलाकों में चोरी की वारदातों को अंजाम देते थे। पुलिस ने उनके कब्जे से चुराए गए पशुओं को बेचकर कमाई गई 50,000 रुपये की नकदी और लोडर वाहन भी जब्त कर लिया।
कैसे काम करता था यह गिरोह?
पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। जीशान ने बताया कि वह पशुओं की खरीद-फरोख्त के बहाने देहरादून में घूमता था और घरों की रेकी करता था। इसके बाद अपने साथियों के साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से चोरी को अंजाम देता था। चुराए गए पशुओं को सस्ते दामों पर बेचने के लिए वे नंबर प्लेट हटा देते थे, ताकि पुलिस उनकी पहचान न कर पाए। यह गिरोह इतना शातिर था कि इसके कई सदस्यों पर पहले से ही विभिन्न राज्यों में चोरी और अन्य अपराधों के मामले दर्ज हैं।
आगे की कार्रवाई जारी
पुलिस ने इस मामले में अन्य संदिग्धों की तलाश तेज कर दी है। एक वांछित अभियुक्त, आरिफ उर्फ राशिद, अभी भी फरार है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। दून पुलिस की इस सफलता ने न सिर्फ स्थानीय लोगों में भरोसा जगाया है, बल्कि अपराधियों के लिए भी सख्त संदेश दिया है कि कानून के हाथ लंबे हैं।