Haryana News : हरियाणा के करनाल जिले के छोटे से गांव कैमला में एक परिवार अपने बेटे की आखिरी झलक पाने को तरस रहा है। 24 साल का मनीष, जो अपने परिवार का इकलौता सहारा था, सिंगापुर के समुद्र तट पर मृत पाया गया। यह खबर सुनते ही गांव में सन्नाटा पसर गया, और मनीष का परिवार सदमे में डूब गया। आखिर क्या हुआ था मनीष के साथ? क्या थी वो परिस्थितियां जिन्होंने एक युवा सपने को इतनी जल्दी खत्म कर दिया?
सपनों की उड़ान और कर्ज का बोझ
मनीष का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। पिता भीम सिंह की उम्र और खराब सेहत ने उन्हें काम करने से रोक रखा था, जबकि मां सुमन घर संभालती थीं। परिवार में मनीष की एक बहन और छोटा भाई भी हैं। बेहतर भविष्य की आस में मनीष को सिंगापुर भेजने का फैसला लिया गया। इसके लिए परिवार ने लाखों रुपये का कर्ज लिया, ताकि मनीष को वर्क परमिट मिल सके। सात महीने पहले, मनीष ने विदेश की धरती पर कदम रखा, यह सोचकर कि वह अपने परिवार की जिंदगी बदल देगा। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
मरीना बे की रहस्यमयी घटना
मनीष का शव सिंगापुर के मरीना बे के किनारे संदिग्ध हालात में मिला। परिवार को इसकी खबर तब लगी, जब उन्होंने मनीष से पैसे भेजने की बात करने के लिए फोन किया। मनीष के ताऊ रघुवीर बताते हैं कि रविवार को मनीष ने कहा था कि वह जल्द पैसे भेजेगा, लेकिन अगले दिन ही उसकी मौत की खबर आई। यह सुनकर परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मनीष के साथ आखिर हुआ क्या? उसे वहां किसने बुलाया? ये सवाल परिवार और गांव वालों के मन में बार-बार उठ रहे हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं।
परिवार की गुहार
मनीष की मौत ने परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है। अब उनकी एकमात्र इच्छा है कि मनीष का शव भारत लाया जाए, ताकि वे उसका अंतिम संस्कार अपनी मिट्टी में कर सकें। परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। गांव के लोग भी उनके दुख में शामिल हैं। एक स्थानीय निवासी संदीप ने बताया कि मनीष की खबर ने पूरे गांव को झकझोर दिया। मनीष ही परिवार का एकमात्र कमाने वाला था, और अब उसकी अनुपस्थिति में परिवार का भविष्य अनिश्चित है।
इंतजार में डूबी आंखें
फिलहाल, मनीष की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। परिवार को उम्मीद है कि इससे कुछ सच्चाई सामने आएगी। लेकिन इससे ज्यादा जरूरी उनके लिए मनीष का शव घर लाना है। गरीबी और कर्ज के बोझ तले दबा यह परिवार अब सरकार और समाज से मदद की आस लगाए बैठा है। मनीष की मां सुमन की आंखों में सिर्फ आंसू हैं, और पिता भीम सिंह की चुप्पी उनके दर्द को बयां करती है।
एक गांव का दर्द
कैमला गांव में मनीष की मौत ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। एक युवा, जो अपने परिवार के लिए कुछ बड़ा करना चाहता था, आज सिर्फ यादों में रह गया। गांव वाले एकजुट होकर परिवार का हौसला बढ़ा रहे हैं, लेकिन दुख की इस घड़ी में उनका साथ भी सीमित लगता है। मनीष की कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है, जो बेहतर जिंदगी की तलाश में अपने घर-गांव छोड़कर अनजान मुल्कों में जाते हैं।
सरकार से अपील
मनीष के परिवार ने सरकार से न सिर्फ शव को लाने में मदद मांगी है, बल्कि परिवार के लिए रोजगार की भी गुहार लगाई है। गांव के लोग भी चाहते हैं कि इस परिवार को आर्थिक सहारा मिले, ताकि वे इस त्रासदी से उबर सकें। मनीष की मौत ने कई सवाल छोड़ दिए हैं, जिनके जवाब शायद समय देगा। लेकिन अभी के लिए, यह परिवार सिर्फ अपने बेटे की आखिरी विदाई चाहता है।