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Haryana News : हरियाणा में ट्रांसजेंडर स्कूल को मिली मान्यता, जानिए पूरी खबर!

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Haryana News : हरियाणा के करनाल जिले से एक ऐसी खबर आई है, जो न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक है। यहां एक ट्रांसजेंडर स्कूल को आधिकारिक मान्यता मिली है, जो समानता और शिक्षा के अधिकार की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह स्कूल वर्षों से जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा दे रहा है, लेकिन कुछ तकनीकी बाधाओं के कारण इसे अब तक मान्यता नहीं मिल पाई थी। आइए, इस खबर को और करीब से जानते हैं।

स्कूल की शुरुआत और चुनौतियां

करनाल में यह अनूठा स्कूल 2014-15 में शुरू हुआ था। 800 वर्ग मीटर के छोटे से क्षेत्र में चलने वाला यह स्कूल ट्रांसजेंडर समुदाय के बच्चों और अन्य जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षा का अवसर देता है। लेकिन नए नियमों के मुताबिक, किसी भी स्कूल को मान्यता के लिए कम से कम 1500 वर्ग मीटर की जगह चाहिए। इस नियम ने स्कूल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। जगह की कमी के कारण इसे मान्यता नहीं मिल रही थी, जिससे स्कूल का भविष्य अधर में लटक गया था।

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याचिका ने बदली तस्वीर

इस समस्या को हल करने के लिए स्कूल प्रबंधन ने हरियाणा मानव अधिकार आयोग के सामने एक याचिका दायर की। याचिका में बताया गया कि केवल जमीन की कमी के कारण स्कूल को रोका जा रहा है, जबकि यह जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा देने का महत्वपूर्ण काम कर रहा है। इस याचिका ने आयोग का ध्यान खींचा और एक संवेदनशील फैसले की राह खोली।

मानव अधिकार आयोग का ऐतिहासिक फैसला

हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा और उनकी टीम ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को समानता का अधिकार है। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर पर्सन्स एक्ट 2019 भी स्पष्ट करता है कि इस समुदाय को शिक्षा और रोजगार में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं सहना चाहिए। आयोग ने सरकार को निर्देश दिया कि वह इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखे और स्कूल को तुरंत मान्यता प्रदान करे।

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सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय सलाह का समर्थन

आयोग ने अपने फैसले में 2014 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक एनएएलएसए (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का भी जिक्र किया। इस फैसले में ट्रांसजेंडर समुदाय को बराबरी का हक देने की बात कही गई थी। साथ ही, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा 2023 में दी गई सलाह को भी आधार बनाया गया।

इन दोनों ने स्पष्ट किया कि ट्रांसजेंडर समुदाय को शिक्षा और रोजगार में समान अवसर मिलने चाहिए। आयोग ने जोर देकर कहा कि केवल जमीन की कमी जैसे तकनीकी कारणों से किसी स्कूल को रोकना अन्यायपूर्ण है।

समाज के लिए एक नई मिसाल

यह फैसला न केवल करनाल के इस स्कूल के लिए, बल्कि पूरे देश में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। यह स्कूल अब और मजबूती से बच्चों को शिक्षित करने का काम जारी रखेगा। यह कदम हमें याद दिलाता है कि शिक्षा और समानता का हक हर किसी को है, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो। हरियाणा सरकार से उम्मीद है कि वह इस फैसले को लागू करने में तेजी दिखाएगी और ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए और बेहतर अवसर सुनिश्चित करेगी।

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एक कदम समावेशी भारत की ओर

यह खबर हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में बदलाव छोटे-छोटे कदमों से ही आता है। करनाल का यह स्कूल उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो यह मानते हैं कि शिक्षा हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। ट्रांसजेंडर समुदाय को मुख्यधारा में लाने और उन्हें सम्मान देने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, हम सब मिलकर इस पहल का समर्थन करें और एक समावेशी समाज की नींव रखें।

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