फिजियोथेरपी को लोग अक्सर चोट-चपेट लगने पर ही कारगर मानते हैं। लेकिन इसकी मदद से और भी कई सारी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। फिजियोथेरेपी एक तरह से मसाज और एक्सरसाइज जैसी चीजों का ही मिला-जुला रूप होता है। जिसकी मदद से कई बीमारियों में राहत मिल सकती है।
लगातार दवाईयां खाकर ऊब चुके हैं तो इन बीमारियों के लिए फिजियोथेरेपी का रुख कर सकते हैं। ये आपके दिमाग और शरीर के बीच बैलेंस बनाकर कई सारी समस्याओं को खत्म करने में मदद करती है। फिजियोथेरेपी की मदद से इन बीमारियों में आराम मिल सकता है।
माइग्रेन और सिरदर्द में फिजियोथेरेपी करती है मदद
फिजियोथेरेपी की मदद से पुराने सिर दर्द, माइग्रेन जैसी समस्या में भी आराम मिल सकता है। दरअसल, कई बार लगातार सिरदर्द की वजह से गर्दन से लेकर कंधे की मांसपेशियों में खिंचाव हो जाता है और भयंकर दर्द महसूस होता है। ऐसे में फिजियोथेरपी कंधे, गर्दन में हो रहे खिंचाव से रिलैक्स महसूस कराने में मदद करती है। कई बार इन हिस्सों में हो रहा दर्द ही माइग्रेन को ट्रिगर करता है। जिससे फिजियोथेरेपी की मदद से बचा जा सकता है।
जबड़े में दर्द का इलाज
टीएमजे डिसफंक्शन यानी टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट डिसऑर्डर में जबड़े के आसपास की मांसपेशियों में दर्द रहता है और बहुत ही सॉफ्ट महसूस होती है। जिसकी वजह से गर्दन से लेकर चेहरे, सिर और जबड़े में दर्द रहता है और चबाने, बोलने, निगले में दिक्कत होती है। इस बीमारी में फिजियोथेरेपी मदद करती है और समस्या को खत्म करने में मदद करती है।
वर्टिगो और चक्कर आना
वर्टिगो एक तरह की बीमारी है जिसमे इंसान को चक्कर आने जैसा महसूस होता है। कई बार मिचली आना और शरीर का बैलेंस बनाने में दिक्कत होती है। इस समस्या से निपटने में फिजियोथेरेपी मदद करती है।
सांस से जुड़ी समस्याएं
अस्थमा, सीओपीडी यानी एक तरह की बीमारी जिसमे सांस लेने में दिक्कत होती है। इसमे ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां शामिल है। सांस लेने की इन बीमारियों में फिजियोथेरेपी बलगम को मैनेज करने और सांसों को कंट्रोल करना सिखाते हैं। जिससे अस्थमा और सीओपीडी में आराम मिलता है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में फिजियोथेरेपी की मदद से पेट की मसल्स में मसाज करते हैं। जिससे कान्सटिपेशन और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्या से राहत मिलती है।