अगर आप आयकर विभाग की आंखों में धूल झोंककर टैक्स बचाने की कोई चालाकी कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यह आपको भारी पड़ सकता है। आयकर विभाग अब ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रख रहा है और जांच के बाद सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है।
कई लोग खेती के नाम पर गलत तरीके से आयकर छूट का फायदा उठा रहे हैं, लेकिन अब विभाग इन धोखाधड़ी के तरीकों को पकड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी गलतियां कर टैक्स बचाना अब आसान नहीं रह गया है।
खेती की आय को लेकर आयकर विभाग के नियम साफ हैं। यह आय टैक्स और जीएसटी से मुक्त होती है, लेकिन कुछ लोग इसका दुरुपयोग ब्लैक मनी को सफेद करने और टैक्स चोरी के लिए कर रहे हैं। देश के कई राज्यों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां बिना खेती किए ही लोगों ने 50 लाख रुपये से ज्यादा की आय को खेती की कमाई बता दिया।
आयकर विभाग अब इन मामलों की गहराई से जांच कर रहा है और दोषियों पर शिकंजा कसने की योजना बना रहा है। यह कदम न सिर्फ टैक्स चोरी को रोकेगा, बल्कि ईमानदार करदाताओं के लिए भी एक उदाहरण पेश करेगा।
विभाग की नजर उन लोगों पर भी है, जो प्रति एकड़ 5 लाख रुपये की खेती की आय दिखा रहे हैं। सामान्य तौर पर इतनी कमाई एक एकड़ से करना संभव नहीं लगता। इसकी पड़ताल के लिए आयकर विभाग सेटेलाइट तकनीक का सहारा ले सकता है। जयपुर में शुरू हुई इस जांच का दायरा अब पूरे देश में फैल रहा है।
2020-21 के कुछ हाई-रिस्क मामलों में लोगों ने आयकर रिटर्न में भारी-भरकम खेती की आय दिखाई थी, जिसे विभाग ने संदिग्ध माना है। अब इन दावों की सच्चाई परखी जाएगी, और गलत पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
खेती की आय से जुड़े नियमों को समझना जरूरी है। इसमें फसल बेचने से होने वाली कमाई और खेती की जमीन का किराया शामिल है, लेकिन जमीन की प्लॉटिंग, शहरी जमीन की बिक्री, फार्म हाउस का किराया या मुर्गी पालन जैसी गतिविधियां इसमें नहीं आतीं। ऐसी आय पर टैक्स देना अनिवार्य है।
वहीं, ग्रामीण खेती की जमीन बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता, लेकिन शहरी जमीन पर यह लागू होता है। आयकर विभाग का कहना है कि टैक्सपेयर्स को अपनी जमीन के इस्तेमाल को साबित करना होगा, वरना सजा का सामना करना पड़ सकता है।