नई दिल्ली : भारतीय संसदीय व्यवस्था में नेताओं को संसद और जनता के बीच खुलकर बोलने की स्वतंत्रता होती है। लेकिन संसद के भीतर दिए गए बयानों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती, जबकि बाहर की गई गलतबयानी या मानहानि पर कोर्ट में घसीटे जाने की संभावना रहती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर अपने जोशीले भाषणों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कई बार वे बिना तथ्यों की जांच किए बयान दे बैठते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए उन्होंने चीन द्वारा भारत की जमीन हड़पने और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर जो टिप्पणी की, उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में करारा जवाब दिया और उन्हें एक खास किताब पढ़ने की सलाह दे डाली।
पीएम मोदी का जोरदार पलटवार
राहुल गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी बात रखी, जिसके अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में जवाब देते हुए विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के कुछ नेता विदेश नीति पर खुद को विशेषज्ञ साबित करने में लगे रहते हैं, जबकि उन्हें इसकी बुनियादी समझ भी नहीं है। पीएम मोदी ने सलाह दी कि यदि राहुल गांधी को सच में अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति की समझ विकसित करनी है, तो उन्हें एक खास किताब जरूर पढ़नी चाहिए।
राहुल गांधी को दी JFK’S FORGOTTEN CRISIS पढ़ने की सलाह
पीएम मोदी ने जिस किताब का जिक्र किया, उसका नाम है JFK’s Forgotten Crisis। यह एक प्रसिद्ध विदेश नीति विशेषज्ञ द्वारा लिखी गई किताब है, जिसमें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के बीच हुई चर्चाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस किताब में बताया गया है कि जब भारत चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब वैश्विक राजनीति में क्या चल रहा था। पीएम मोदी की इस टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी अपनी हंसी नहीं रोक सके।
राहुल गांधी के बयान और उनका खंडन
राहुल गांधी ने संसद में दो अहम बयान दिए थे, जो तथ्यों से मेल नहीं खाते थे। पहले, उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने लद्दाख में चीन की घुसपैठ को लेकर पीएम मोदी के दावे का खंडन किया है। दूसरे, उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर भारत में मैन्युफैक्चरिंग मजबूत होती, तो विदेश मंत्री को अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित कराने के लिए अनुरोध नहीं करना पड़ता।
राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी को गैर-जिम्मेदार बताया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख के नाम से कही गई बातें कभी भी उनकी ओर से नहीं बोली गई थीं। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वे राष्ट्रीय हित के गंभीर मुद्दों पर गैर-जिम्मेदाराना राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने अगर किसी भारतीय क्षेत्र पर कब्जा किया है, तो वह 1962 में अक्साई चिन का 38,000 वर्ग किमी और 1963 में पाकिस्तान द्वारा चीन को सौंपे गए 5,180 वर्ग किमी क्षेत्र हैं। राहुल गांधी को आत्ममंथन करने की जरूरत है।
एस. जयशंकर ने बताया राहुल गांधी का बयान झूठा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी राहुल गांधी के बयानों को झूठा करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राहुल गांधी ने उनकी दिसंबर 2024 की अमेरिका यात्रा को लेकर गलत तथ्य प्रस्तुत किए। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि वे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से मुलाकात करने और भारत के महावाणिज्य दूतों की बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिका गए थे।
उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिकी शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित करने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। भारत के प्रधानमंत्री आमतौर पर ऐसे समारोहों में शामिल नहीं होते, बल्कि विशेष दूत इन आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। जयशंकर ने कहा कि राहुल गांधी का यह झूठ राजनीतिक फायदे के लिए हो सकता है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब होती है।