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Vikasnagar News : फर्जी एनकाउंटर पर भड़का जन संघर्ष मोर्चा, बोले – छिछोरे नेताओं की करतूतों से शर्मसार हुआ प्रदेश

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Vikasnagar News :उत्तराखंड में एक बार फिर कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार पर फर्जी एनकाउंटर को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। मोर्चा का कहना है कि सत्ताधारी दल के एक पदाधिकारी के बयान ने न केवल सरकार की मंशा को उजागर किया, बल्कि प्रदेश में जंगल राज की स्थिति को भी सामने ला दिया। यह मुद्दा अब न्यायालय तक पहुंचने की तैयारी में है, जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है।

वायरल वीडियो ने खोली पोल

हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया। जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि सत्ताधारी दल के एक दायित्वधारी विश्वास डाबर ने खुलेआम कहा कि सरकार मुकदमों में जमानत पर रिहा लोगों को भी प्रदेश से बाहर करने का प्लान बना रही है।

इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी दावा किया कि ऐसे लोगों को गोली मारने का काम पहले ही शुरू हो चुका है। नेगी ने इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना और कानून का मखौल उड़ाने वाला बताया। उनका कहना है कि यह बयान प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की बदहाल स्थिति को दर्शाता है।

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जंगल राज का आरोप

नेगी ने कहा कि इस तरह के बयान साबित करते हैं कि प्रदेश में कानून का राज खत्म हो चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार खुद ही तय करेगी कि किसे गोली मारनी है और किसे प्रदेश से बाहर करना है, तो फिर न्यायालयों की क्या जरूरत रह जाती है? मोर्चा का मानना है कि हाल के दिनों में हुए कई एनकाउंटर संदिग्ध हैं और इनकी सच्चाई को उजागर करने के लिए वे जल्द ही अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस मामले ने न केवल सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए, बल्कि आम जनता में भी डर का माहौल पैदा कर दिया है।

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नेताओं पर भी लागू होगा नियम?

नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि अगर सरकार का यह नियम लागू होता है, तो कई विधायक, मंत्री और दायित्वधारी खुद इसकी जद में आ जाएंगे। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार अपने ही लोगों को गोली मारकर प्रदेश से बाहर करेगी, क्योंकि कई नेताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं और वे जमानत पर हैं। मोर्चा ने मांग की है कि सबसे पहले ऐसे गैर-जिम्मेदार दायित्वधारियों को पद से हटाकर कार्रवाई की जाए, जिनके बयानों ने प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

पुराने विवादों का जिक्र

रघुनाथ सिंह नेगी ने यह भी खुलासा किया कि यह वही दायित्वधारी हैं, जिन्होंने पहले अपने निजी फायदे के लिए एक प्रतिष्ठित स्कूल की लीज रद्द कराने की कोशिश की थी। इस साजिश से हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया था, लेकिन स्कूल की मजबूत पैरवी के चलते सरकार को पीछे हटना पड़ा। नेगी का कहना है कि ऐसे लोग बार-बार विवादों में रहते हैं, फिर भी सरकार उनकी गलतियों को नजरअंदाज करती है।

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राजभवन की चुप्पी

मोर्चा ने राजभवन की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। नेगी ने कहा कि जब प्रदेश में कानून की धज्जियां उड़ रही हैं, तब राजभवन खामोश क्यों है? उनका आरोप है कि ऐसी संवैधानिक संस्थाएं सिर्फ नाम की रह गई हैं और सरकार के गलत कामों पर कोई अंकुश नहीं लगा रही हैं। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

जन संघर्ष मोर्चा ने साफ कर दिया है कि वे इस मामले को यूं ही नहीं छोड़ेंगे। वे फर्जी एनकाउंटर और सरकार की मनमानी के खिलाफ अदालत में जाएंगे। साथ ही, उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वे इस मुद्दे पर जागरूक रहें और कानून के दायरे में अपनी आवाज उठाएं। यह मामला न केवल उत्तराखंड की राजनीति, बल्कि पूरे देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठा रहा है।

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