India-Pakistan Ceasefire : दशकों से चले आ रहे भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में एक नया मोड़ आया है। अमेरिकी मध्यस्थता के बाद दोनों देशों ने तत्काल और पूर्ण युद्धविराम पर सहमति जताई है, जिसने विश्व पटल पर शांति की एक नई उम्मीद जगाई है। यह घोषणा न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि लंबी और गहन बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान ने शांति का रास्ता चुना है। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं की सूझबूझ और बुद्धिमत्ता की सराहना की। ट्रंप ने इसे एक ऐसी उपलब्धि बताया, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी इस समझौते की पुष्टि करते हुए कहा कि उनका देश हमेशा से शांति और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा है। उन्होंने इस मौके पर दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की उम्मीद जताई। दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी कठोर नीति पर अडिग रहेगा, लेकिन शांति के लिए उठाए गए इस कदम का स्वागत करता है।
इस समझौते के तहत दोनों देशों ने भारतीय मानक समय के अनुसार शाम 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने का फैसला किया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने भारतीय DGMO से दोपहर साढ़े तीन बजे बातचीत की, जिसके बाद यह सहमति बनी। दोनों पक्षों को इस समझौते को लागू करने के लिए तत्काल निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, 12 मई को दोपहर 12 बजे दोनों DGMO के बीच फिर से बातचीत होगी ताकि प्रगति की समीक्षा की जा सके।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस प्रक्रिया में अपनी सक्रिय भूमिका की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले 48 घंटों में उन्होंने और उपराष्ट्रपति वेंस ने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री जयशंकर, सेना प्रमुख असीम मुनीर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असीम मलिक शामिल थे, के साथ गहन चर्चा की। रुबियो ने दोनों देशों के नेताओं की दूरदर्शिता और राजनैतिक सूझबूझ की तारीफ की।
यह युद्धविराम न केवल सैन्य तनाव को कम करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की नई शुरुआत का प्रतीक भी हो सकता है। हालांकि, जयशंकर ने साफ किया कि इस समझौते का मतलब किसी अन्य मुद्दे पर तत्काल बातचीत शुरू करना नहीं है। भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है, लेकिन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को सर्वोपरि रखा है।
यह ऐतिहासिक कदम दोनों देशों के नागरिकों के लिए एक सकारात्मक संदेश है। सीमा पर रहने वाले लोग, जो लंबे समय से तनाव और गोलीबारी के साये में जी रहे थे, अब राहत की सांस ले सकते हैं। यह समझौता दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और समृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है, बशर्ते दोनों पक्ष इसे पूरी निष्ठा से लागू करें।