Waqf Amendment Act :भारत ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर पाकिस्तान की आलोचना को सिरे से खारिज कर दिया है। मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने तीखा जवाब देते हुए कहा कि पड़ोसी देश को भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने का कोई हक नहीं है। यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान ने इस कानून को लेकर आपत्ति जताई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पाकिस्तान की टिप्पणियां पूरी तरह से निराधार और बदनीयत से प्रेरित हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात करने से पहले पाकिस्तान को अपने देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खराब रिकॉर्ड पर ध्यान देना चाहिए।
पाकिस्तान का दोहरा चरित्र उजागर
रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत की संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन अधिनियम पूरी तरह से देश का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को दूसरों को उपदेश देने की बजाय अपनी नीतियों और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर आत्ममंथन करना चाहिए।” यह जवाब न केवल पाकिस्तान की टिप्पणियों का खंडन करता है, बल्कि उसके दोहरे रवैये को भी उजागर करता है। भारत ने हमेशा अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी है, जबकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं।
वक्फ संशोधन अधिनियम: क्यों है विवाद?
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश में सियासी माहौल गर्म है। इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को और पारदर्शी बनाना है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद छिड़ गया है। विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर अतिक्रमण करता है। कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं। इस बीच, कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। बुधवार को होने वाली सुनवाई में इस मामले पर अहम फैसला आने की उम्मीद है।
भारत की दृढ़ता और संदेश
भारत ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संदेश दिया है कि वह अपने आंतरिक मामलों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा। वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर चल रही बहस के बीच सरकार ने इसे देश के हित में बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और उनके बेहतर प्रबंधन में मददगार साबित होगा। हालांकि, विरोधियों का कहना है कि इसके कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार की जरूरत है।
आगे की राह
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस विवाद को नई दिशा दे सकता है। देश में इस मुद्दे पर चर्चा और बहस तेज हो रही है, और जनता की नजरें अब न्यायालय के अगले कदम पर टिकी हैं। भारत ने पाकिस्तान की आलोचना को खारिज कर यह साबित कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और नीतियों को लेकर किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा। यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, और इसका प्रभाव आने वाले समय में देखने को मिलेगा।