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Weather Update : IMD का बड़ा दावा, 2025 में मानसून रहेगा सामान्य से भी बेहतर

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Weather Update :भारत में मानसून का इंतजार हर साल बेसब्री से होता है, और इस बार भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने खुशखबरी दी है। 2025 में मानसून सामान्य से बेहतर रहने की उम्मीद है, जिससे किसानों के चेहरों पर मुस्कान और खेतों में हरियाली लौटने की संभावना है। आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि यह हमारे देश के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है।

मानसून का अनुमान

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के ताजा अनुमान के अनुसार, जून से सितंबर तक चलने वाले चार महीने के मानसून सीजन में सामान्य से 105% बारिश होने की संभावना है। इसका मतलब है कि इस साल लगभग 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है, जो लंबी अवधि के औसत (868.6 मिलीमीटर) से अधिक है। यह खबर खेती-किसानी पर निर्भर भारत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि देश की 52% कृषि मानसून की बारिश पर टिकी है। अच्छी बारिश का मतलब है बेहतर फसल, अधिक पैदावार, और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार।

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किन राज्यों को मिलेगी राहत, कहां रहेगी कमी?

मानसून की मेहरबानी इस बार देश के कई हिस्सों में देखने को मिलेगी। राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मराठवाड़ा, पश्चिम बंगाल, और तेलंगाना जैसे राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है। ये क्षेत्र खेती के लिए महत्वपूर्ण हैं, और यहां अच्छी बारिश से धान, गेहूं, और अन्य फसलों की पैदावार बढ़ सकती है। दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर, बिहार, तमिलनाडु, लद्दाख, और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में बारिश सामान्य से कम रह सकती है। इन इलाकों के किसानों को वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देना होगा।

मानसून का आगमन और विदाई

हर साल की तरह, मानसून की शुरुआत केरल के तटों से होगी, जो आमतौर पर 1 जून के आसपास होती है। जून के मध्य तक यह देश के अधिकांश हिस्सों में पहुंच जाता है। चार महीने तक मेहरबानी बरसाने के बाद, सितंबर के अंत में मानसून राजस्थान के रास्ते विदाई लेता है। इस दौरान होने वाली 70% बारिश देश की अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र के लिए जीवन रेखा का काम करती है।

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गर्मी और लू की चुनौती

हालांकि मानसून की खबर राहत देने वाली है, लेकिन मई और जून में गर्मी और लू का प्रकोप भी कम नहीं होगा। IMD के अनुसार, इन महीनों में तापमान बढ़ने और लू चलने की संभावना है, जिससे बिजली और पानी की मांग में इजाफा होगा। अच्छी बात यह है कि इस बार अल नीनो का कोई खतरा नहीं है। अल नीनो के कारण समुद्र का तापमान बढ़ता है, जिससे मानसून कमजोर पड़ सकता है। इसकी अनुपस्थिति से बारिश का अनुमान और मजबूत होता है।

कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए क्यों अहम?

भारत में 70-80% किसान मानसून पर निर्भर हैं, और देश की कुल बारिश का 70% हिस्सा इसी मौसम में आता है। कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था में 20% हिस्सेदारी रखता है और आधी आबादी को रोजगार देता है। अच्छी बारिश से न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि बाजार में अनाज की कीमतें स्थिर रहती हैं और किसानों की आय बढ़ती है। पिछले कुछ सालों में मानसून के अनुमान और वास्तविक बारिश में थोड़ा-बहुत अंतर देखा गया है। उदाहरण के लिए, 2024 में IMD ने 106% और स्काईमेट ने 102% बारिश का अनुमान लगाया था, लेकिन बारिश 108% हुई। इस बार भी अनुमान सटीक होने की उम्मीद है।

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भविष्य की तैयारी

किसानों और नीति निर्माताओं के लिए यह समय तैयारी का है। जिन क्षेत्रों में कम बारिश का अनुमान है, वहां सिंचाई और जल संरक्षण पर ध्यान देना होगा। वहीं, अधिक बारिश वाले क्षेत्रों में बाढ़ और जलजमाव से बचाव के उपाय जरूरी हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे किसानों को समय पर जानकारी और संसाधन उपलब्ध कराएं।

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