चेक बाउंस हुआ तो घबराएं नहीं, बस कर लें ये काम और पैसे वापस पाएं

चेक बाउंस (Cheque Bounce) होना एक तरह का अपराध है और चेक काटने से पहले  अपना बैंक अकाउंट जरूर चेक कर लें। अगर आपके खाते में चेक पर डाली गई रकम से कम पैसा है तो आपका चेक बाउंस हो जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान (provision of severe punishment) है।

आइए जानें इनके अलावा कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से चेक बाउंस हो जाता है? अगर किसी ने आपको बाउंस चेक दिया है तो उस पर क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?  अगर आपका दिया गया चेक डिसऑनर हो गया है तो सजा से कैसे बचेंगे?

cheque बाउंस होने के बाद इतने दिनों में देना होता है जवाब-

अगर चेक बाउंस (cheque bounce par kya kare) हो जाता है, तो सबसे पहले एक महीने के अंदर चेक जारी करने वाले को लीगल नोटिस भेजना होता है। इस नोटिस में कहा जाता है कि उसने जो चेक दिया था वह बाउंस हो गया है अब वह 15 दिन के अंदर चेक की राशि उसको दे दे।

इसके बाद 15 दिन तक इंतजार करना होता है यदि चेक देने वाला उस पैसे का भुगतान 15 दिन में कर देता है तो मामला यहीं सुलझ जाता है।

सिविल न्यायालय में दायर करें मुकदमा

अगर चेक जारी करने वाला पैसा देने से इनकार कर देता है या लीगल नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो आप निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत सिविल कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं।

इसके तहत आरोपी को 2 साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। जुर्माने की राशि चेक की राशि का दोगुना हो सकती है। केस दायर करने के बाद आप कोर्ट से अपील कर सकते हैं कि वह चेक जारी करने वाले से चेक की राशि का कुछ हिस्सा शुरुआत में ही दिलवा दे।

इसके बाद कोर्ट आमतौर पर चेक की राशि का 20 से 30 प्रतिशत पैसा शुरुआत में दिलवा देता है। अगर आप जीत जाते हैं, तो कोर्ट चेक जारी करने वाले से पैसा दिला देता है साथ ही जो अमाउंट आपको शुरुआत में मिला हुआ है, वह भी आपके पास ही रहता है।

यदि आप केस हार जाते हैं, तो जो पैसा आपको केस के शुरुआत में मिला है, उसको ब्याज के साथ वापस करना पड़ता है।

क्रिमिनल केस भी कर सकते हैं दायर

चेक बाउंस (cheque bounce case) के मामले में आप भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 420 के तहत क्रिमिनल केस भी कर सकते हैं। इ

सके लिए यह साबित करना होता है कि चेक जारी करने वाले का इरादा बेईमानी करने का था। इसके लिए आरोपी को 7 साल की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है।

चेक बाउंस की सजा होने पर कैसे अपील करें?

चेक बाउंस का अपराध 7 वर्ष से काम की सजा है इसलिए इसे जमानती अपराध माना गया है। इसके अंतिम फैसला तक व्यक्ति को जेल नहीं होती है। किसी को इसकी सजा मिली है तो वह ट्रायल कोर्ट के सामने दंड प्रक्रिया सहित की धारा 389(3) के अंतर्गत अपना आवेदन पेश कर सकता है।

कौन-कौन जारी कर सकता है चेक

आपको बता दें कि चेक कोई व्यक्ति भी जारी कर सकता है और कंपनी भी जारी कर सकती है। इसके अलावा ट्रस्ट और सोसायटी समेत अन्य संस्थाएं भी चेक जारी कर सकती हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि कोई भी चेक जारी करने की तारीख से लेकर 3 महीने तक ही वैध होता है।

ये हैं चेक बाउंस होने के कारण (Due to bounced check)

अकाउंट में बैलेंस न होना या कम होना सिग्नेचर मैच न होना शब्द लिखने में गलती अकाउंट नंबर में गलती ओवर राइटिंग  चेक की समय सीमा समाप्त होना चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद होना जाली चेक का संदेह

Leave A Reply

Your email address will not be published.