हाल ही में देश की केन्द्रीय बैंक के द्धारा भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट पर अपडेट जारी कर दिया गया है,जिससे यहां RBI फिर से रेपो रेट को नौवीं बार 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है, तो वही कुछ बैंकों ने ब्याज दर में बदलाव किए हैं।
इनमें केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक हैं। जिससे ग्राहकों पर बड़ा असर पड़ने वाला है। तो वही आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद में लिए गए निर्णय की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति पहले कि बरकरार रखते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर ही रखी है।तो वही इसके बाद में कुछ बैंकों ने बड़ा फैसला करते हुए ब्याज दर में बदलाव कर दिया है, जिससे यहां पर ग्राहकों पर खास असर देखने को मिलेगा इन बैकों में केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक शामिल हैं।
केनरा बैंक
तो वही आरबीआई के रेपो रेट में जारी अपडेट के बाद में सार्वजनिक क्षेत्र के केनरा बैंक ने फंड की सीमांत लागत आधारित ब्याज यानि एमसीएलआर) को 0.05 प्रतिशत बढ़ा दिया।
जिससे यहां पर बैंक से लिए जाने वाले के कर्ज के लिए की गयी है। तो वही एक साल की अवधि वाली एमसीएलआर अब नौ प्रतिशत बैंक ने बताई है। इससे ज्यादातर लोगों के कर्ज महंगे हो जाएंगे।
केनरा बैंक के 3 साल के लिए एमसीएलआर 9.40 प्रतिशत होगी, 2 साल की अवधि के लिए एमसीएलआर अब बढ़ा 9.30 प्रतिशत हो गई है।जिससे यहां पर 1 महीने छह महीने की अवधि के लिए ब्याज 8.35-8.80 प्रतिशत के दायरे में होगा। दरअसल आप को बता दें कि केनरा बैंक ने अपने अधिकारिक वेबसाइट पर नई दरें 12 अगस्त, 2024 लागू होने वाली जानकारी अपडेट कर दी है।
यूको बैंक
यूको बैंक ने भी एसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट कमेटी पर बड़ा अपडेट कर दिया है, जिससे 10 अगस्त से प्रभावी कुछ अवधि के लिए उधार दर में पांच आधार अंक की बढ़ोतरी है।
बैंक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ बड़ौदा ने ग्राहकों को बड़ा झटका दे दिया है, जिससे यहां पर 12 अगस्त से कुछ अवधि के लिए एमसीएलआर में अपडेट किया गया हैं।
जानिए लें जरुरी और काम बात
आप को बता दें कि RBI की MPC की बैठक हर दो महीने में होती है, जिससे यहां रेपो रेट पर फैसला लिया जाता है, तो वही यहां इसका असर बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है। अगर रेपो रेट कम होती हैं, लोन की ईएमआई घट जाती है और इसमें इजाफा होने से ये बढ़ जाती है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI धन की किसी भी कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। इससे मौद्रिक अधिकारियों द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।