एक अच्छा CIBIL स्कोर आपको बेहतर शर्तों और ब्याज दरों के साथ क्रेडिट के लिए स्वीकृत होने में मदद कर सकता है जबकि एक खराब स्कोर आपको नया लोन लेने में दिक्कत कर सकता है। जितना अधिक CIBIL Score होगा वो आपके लिए उतना ही अधिक बेहतर होने वाला है।
आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए क्रेडिट स्कोर (Credit Score) मेंटेन करना बहुत जरूरी टास्क है। अगर आप क्रेडिट कार्ड यूज करते हैं, या फिर आप किसी लोन की EMI भर रहे हैं तो आपको अपना क्रेडिट स्कोर जरूर मेंटेन करके रखना चाहिए।
ये उनके लिए भी बहुत जरूरी है जो भविष्य में लोन लेना चाहते हैं। इसके लिए आपका क्रेडिट स्कोर कम से कम 700-750 से ऊपर होना चाहिए। आप कई तरीकों से अपना क्रेडिट स्कोर चेक कर सकते हैं, लेकिन आज हमारा जो टॉपिक वो इसपर है कि आप अपना क्रेडिट स्कोर कितनी बार चेक कर सकते हैं?
या फिर आपको अपना क्रेडिट स्कोर कितनी बार चेक करना चाहिए? क्या ऐसा भी है कि बार-बार क्रेडिट स्कोर चेक करने से यह गिरता है? आइए समझते हैं।
कितनी बार चेक करना चाहिए आपको Credit Score?
वैसे तो आप जब और जितनी बार चाहे, अपना क्रेडिट स्कोर चेक कर सकते हैं, इससे आपके क्रेडिट रिपोर्ट पर कोई असर नहीं होता, लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि आप अपना क्रेडिट स्कोर 3-6 महीनों के पीरियड में चेक कर लिया करें।
अगर आप इससे पहले भी करते हैं तो भी ठीक है, लेकिन सबसे बढ़िया आदत यही होगी कि आप हर 3 से 9 महीने के बीच अपना क्रेडिट रिपोर्ट चेक कर लें।
अगर आप किसी लोन के लिए अप्लाई नहीं भी करने वाले हैं, तो भी आपको वक्त-वक्त पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करना चाहिए, इससे पहला तो आपको अपना क्रेडिट स्कोर पता रहेगा, दूसरा अगर आपकी रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ भी होता है, तो आप उसे टाइम पर फिक्स कर सकते हैं। इससे आपका क्रेडिट हेल्दी रहेगा।
क्या बार-बार चेक करने से गिरता है क्रेडिट स्कोर?
जब आप खुद से अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं, तो इसे सॉफ्ट इन्क्वायरी कहते हैं, इससे आपके क्रेडिट रिपोर्ट पर असर (impact on credit report) नहीं होता है।
आप अगर किसी भी तरह के लोन या फिर क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई (apply for credit card) करने जा रहे हैं तो आपको खासकर एक बार अपना क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करना चाहिए।
लेकिन जब कोई लेंडर जैसे की बैंक या NBFCs आपका क्रेडिट स्कोर चेक करे तो इसे हार्ड इन्क्वायरी (hard inquiry) कहते हैं। अगर एक साथ कई लेंडर्स आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इससे आपके सिबिल स्कोर पर असर पड़ सकता है और आप आगे जहां भी लोन के लिए अप्लाई करेंगे, वो इसे निगेटिव तरीके से जरूर देखेगा और इससे आपको लोन मिलने में समस्या आ सकती है।
दरअसल, हर बार हार्ड-इन्क्वायरी होने से आपके क्रेडिट स्कोर का कुछ पॉइंट कम हो जाता है। आपके क्रेडिट रिपोर्ट में इसकी डीटेल दी जाती है कि आपके लिए कब–कब हार्ड-इन्क्वायरी की गई है।
इसी पॉइंट से एक सलाह यह भी निकलती है कि आप कम समय में कई बार लोन के लिए अप्लाई ना करें, क्योंकि आपको लोन देने से पहले लेंडर्स क्रेडिट ब्यूरो से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट मांगेंगे, इससे आपका स्कोर काफी गिर सकता है।
तो कुल मिलाकर, अगर आप खुद से अपना स्कोर चेक करें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं हुआ और कई लेंडर्स इसे चेक करते हैं तो आपका क्रेडिट रिपोर्ट खराब हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि आप अपने स्कोर को लेकर अपडेटेड रहें और कर्ज चुकाने को लेकर सतर्क रहें, ताकि आप हेल्दी क्रेडिट मेंटेन कर पाएं।