हाल ही में हुई एमपीसी की बैठक में होम लोन की ईएमआई कम होने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें फिलहाल झटका लगा है। इसी दौरान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने लोगों के होम लोन टॉप-अप(RBI MPC Meeting 2024) कराने के ट्रेंड पर चिंता भी जताई है।
उनका कहना हैं कि होम और ऑटो लोन पर टॉप अप लोन बांटने को लेकर बैंकों को निगरानी तंत्र बनाना चाहिए।टॉप लोन पर निगरानी गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कुछ ही बैंक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं उन्होने कहा कि टॉप अप लोन बांटने में बैंक और अन्य फाइनेंस कंपनियां नियमों का पालन नहीं कर रही हैं।
इसका प्रभाव वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता पर भी दिख सकता है। (RBI Repo Rate 2024)ऐसे में बैंकों और एनबीएफसी को इस बारे में गंभीरता से विचार करना होगा।
गवर्नर ने ये निर्देश दिया है कि गंभीर समस्या से बचने कि लिए टॉप लोन बांटने से लेकर उसके खर्च होने के तरीकों की निगरानी और स्क्रूटनी करने का तंत्र बनाया जाए
कुछ इकाइयों द्वारा नहीं किया जा रहा इसका पालन
गवर्नर ने कहा कि आवास ऋण के ऊपर कर्ज (टॉप-अप) में वृद्धि सभी बैंकों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह कुछ आंकड़ो तक ही सीमित है। उन्होंने कहा, ‘टॉप-अप आवास कर्ज में नियामकीय आवश्यकताओं का पालन कुछ इकाइयों द्वारा(RBI Monetary Policy Meeting 2024) नहीं किया जा रहा है और यह कोई प्रणाली-स्तर की समस्या नहीं है।
ऐसे में इन मामलों को पर्यवेक्षी स्तर पर द्विपक्षीय रूप से निपटाया जा रहा है।
बैंको को दी सलाह
गवर्नर ने इस मुद्दे पर इसलिए चिंता जताई है क्योंकि बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) भी गोल्ड लोन जैसे अन्य गारंटी वाले कर्ज पर टॉप-अप की पेशकश कर रही हैं।
टॉप-अप कर्ज खुदरा कर्ज के साथ होम लोन के ऊपर लिया जाने वाला(RBI Latest News Update) कर्ज है। गवर्नर का कहना है कि, इस तरह के कायों की वजह से कर्ज राशि का उपयोग गैर-उत्पादक क्षेत्रों में या सट्टेबाजी के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
इस कारण बैंकों और एनबीएफसी को ऐसी प्रक्रियाओं की सुधारात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी जाती है।
बैंकों को करना पड़ सकता इन समस्याओं का सामना
गवर्नर ने निर्देश दिया हैं कि इसलिए बैंकों को ऋण-से-मूल्य (एलटीवी) अनुपात, जोखिम भार और टॉप-अप के संबंध में धन के अंतिम उपयोग की निगरानी से संबंधित नियामकीय निर्देशों का पालन करना चाहिए और लोन और जमा वृद्धि के बीच अंतर से (RBI Latest News)परिसंपत्ति देयता में असंतुलन या तरलता प्रबंधन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
इस कारण बैंकों को संरचनात्मक तरलता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है