दोनों ने भारत में 15 लाख कारें बनाने में कामयाबी हासिल की है। दोनों कार ब्रांड फॉक्सवैगन ग्रुप का हिस्सा हैं। वर्तमान में कंपनी भारत 2.0 प्रोजेक्ट के तहत कुशाक, टाइगुन, स्लाविया और वर्टस जैसे मॉडल बनाती है, जिसका उद्देश्य स्थानीय बाजार के साथ-साथ अन्य देशों के लिए स्थानीय निर्मित वाहनों का उत्पादन करना है।
फॉक्सवैगन और स्कोडा ने प्रोडक्शन माइलस्टोन की घोषणा की है। फॉक्सवैगन और स्कोडा भारत में पुणे के पास स्थित महाराष्ट्र के चाकन प्लांट में अपने व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग कर रही है। प्लांट ने 2007 में ऑपरेशन शुरू किया था। इस प्लांट में निर्मित होने वाला फॉक्सवैगन ग्रुप का पहला वाहन स्कोडा फैबिया था। इस प्लांट में स्कोडा की रैपिड और फॉक्सवैगन की पोलो, वेंटो और एमियो जैसी लोकप्रिय कारों का उत्पादन भी हुआ था।
5 साल पहले फॉक्सवैगन ग्रुप ने अपने भारत 2.0 प्रोजेक्ट के तहत एक अलग दृष्टिकोण अपनाया, जिसका उद्देश्य भारतीय ग्राहकों के लिए शानदार कारों का निर्माण करना था। जनवरी 2019 में कंपनी ने लोकली MQB-A0-IN सब-कॉम्पैक्ट प्लेटफॉर्म पर बेस्ड वाहन डेवलप करने के लिए पुणे में एक नया टेक्नोलॉजी सेंटर ओपेन किया था। इस प्लेटफॉर्म के तहत स्कोडा से कुशाक और स्लाविया और फॉक्सवैगन से टाइगुन और वर्टस जैसे मॉडलों को डेवलप किया गया।
स्कोडा और फॉक्सवैगन इस 540 एकड़ के प्लांट में निर्मित मॉडलों को अन्य देशों में निर्यात भी करते हैं। कार निर्माता 40 देशों में बाएं और दाएं दोनों प्रकार के वाहनों का निर्यात करती है। इस प्लांट में निर्मित 30 प्रतिशत से अधिक कारों का निर्यात किया जाता है।
फॉक्सवैगन वर्तमान में भारत में दो प्लांट में अपने वाहनों का मैन्युफैक्चरिंग करती है। ये प्लांट महाराष्ट्र के औरंगाबाद और पुणे में स्थित हैं। दोनों प्लांटों की वार्षिक क्षमता लगभग दो लाख वाहनों की है।