मालामाल कर रही इस फसल की खेती, लाखों कमा रहे युवा किसान!

Maize cultivation : किसान नगदी फसलों पर काफी जोर दे रहे हैें। क्यों कि किसानों को इन फसलों में काफी कम लागत लगती है और इसमें लाभ भी अच्छा खासा मिलता है। इससे किसानों का माल काफी जल्दी भी बिक जाता है।

वहीं बता दें कि बराबंकी जिले के किसान मक्के की खेती पर काफी जोर दे रहे हैं। क्यों कि 2 महीने की खेती किसानों में लाखों रुपये का लाभ होता है। इसकी खेती में किसानों की इनकम काफी हो जाती है।

वहीं बता दें किसानों को मक्के की फसल तैयार होने के बाद बेचने के लिए मेहनत नहीं करनी होती है। आसपास के मार्केट और मंडियों के साथ-साथ खेतों से भी मक्के की बिक्री आसानी से हो जाती है। इससे किसानों को घर बैठे अच्छा खासा लाभ होता है।

वहीं युवा किसानों ने दूसरी फसलों के साथ में मक्के की खेती शुरु की है। जिसमें उनको कम लागत लगाने पर अच्छा खासा लाभ हो रहा है। इसके लिए वह कई कई सालों से मक्के की केती करके लाखों रुपये कमा रहे हैं।

बता दें बराबंकी जिले के सहेलिया गांव के युवा किसान आकाश ने दो बीघे के मक्के की खेती की थी जिसमें उनको अच्छा खासा लाभ हुआ है। आज वह करबी 4 बीघे में मक्के की खेती कर रहे हैं इस खेती से उनको करीब 2 से 3 लाख रुपये तक फसल पर लाभ हो जाता है।

वहीं इसकी खेती करने वाले किसान आकाश ने बताया है कि वैसे तो मैं पारंपरिक खेती करता हूं। फिर मैने सोचा क्यों न इसके साथ में थोड़ी मक्के की खेती करें तो हमनें 2 बीघे में मक्के की खेती की शुरुआत की है। जिसमें आपको अच्छा खासा लाभ होने के बाद इस समय करीब 4 बीघे में मक्के की खेती कर रहे हैं।

इसमें कम लागत 6 से 7 हजार रुपये एक बीघे में आती है, क्यों कि इस खएती में बीज व जुताई का खर्च आता है और इसमें खाद्य कीटनाशक दवाइंयों का छिड़काव काफी कम करना होता है।

लाभ करीब एक फसल में 2 से 3 लाख रुपये हो जाता है। वहीं गर्मियं में भट्टे की मांग काफी रहती है। इस वजह से मार्केट में रेट अच्छा होने के साथ में हमारा जो भी मक्का 35 से 40 रुपये किलो में बिकता है। वहीं एक भुट्टा 7 से 8 रुपये में बिकता है।

बता दें मक्के की खेती करना काफी आसान है। इससे पहले खेती की जुताई होती है। इसके बाद खेत में मक्के के बीजों की बुवाई की जाती है। वहीं जब पौधा निकालने के बाद पेड़ जरा बड़ा हो जाता है।

तब इसकी सिंचाई करते हैें और खाद कीटनाशन दवाइयों को भी छिड़कते हैं। इससे पेड़ जल्दी तैयार हो जाता है। और फसल बेचने के काबिल हो जाती है।

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