दरअसल, ये बात तब की है जब जावेद अख्तर 16 साल के थे। जावेद अख्तर ने अपने घर से रिश्ता तोड़ लिया था। ऐसे में उनके पास न रहने के लिए कोई जगह थी और न ही पढ़ने के लिए पैसे थे।
दोस्त ने की मदद
जब ये बात उनके दोस्त मुश्ताक सिंह को पता चली तब उन्होंने जावेद को अपने पास बुलाया और कहा, ‘जब तक कोई इंतजाम नहीं होता है मेरे साथ रह लो।’ जावेद अख्तर तीन साल तक मुश्ताक के साथ रहे। उनके कॉलेज की फीस और खाने-पीने का खर्चा भी मुश्ताक ने ही उठाया। लेकिन, 1964 में दोनों को अलग हो गए।
क्यों हुए अलग?
दरअसल, ग्रेजुएट होने के बाद जावेद अख्तर ने मुंबई शिफ्ट होने का निर्णय लिया। वहीं मुश्ताक ने ग्लासगो (स्काटलैंड) जाने का फैसला लिया। ऐसे में बिछड़ने से पहले जब जावेद और मुश्ताक की मुलाकात हुई तक मुश्ताक ने अपने हाथ से कड़ा निकालकर जावेद के हाथ में पहना दिया। उस बात को 60 साल हो गए हैं।
जावेद अख्तर ने आज तक उस कड़े को अपनी कलाई से अलग नहीं किया। आज भी वह अपने दोस्त के कड़े को अपनी कलाई पर सजाकर रखते हैं। जब जावेद से इस कड़े के बारे में पूछा गया था तब उन्होंने ‘वी आर युवा’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मेरी मौत तक ये कड़ा मेरे साथ रहेगा।”