इस साल नवंबर-दिसंबर तक इस मेगा डील को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इनमें से सबसे अधिक 15 ड्रोन नौसेना को मिलने वाले हैं। इसके बाद सेना और वायुसेना के 8-8 मिलेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। आपको बता दें कि यह डील ऐसे समय में होने जा रही है जब चीन ने पाकिस्तान को अपने सशस्त्र कै होंग-4 और विंग लूंग-II ड्रोन की आपूर्ति बढ़ा दी है। एक सूत्र ने कहा, “पाकिस्तान ने चीन से 16 और सशस्त्र CH-4 ड्रोन मांगे हैं। उसके पास पहले से ही सेना में सात और नौसेना में तीन CH-4 ड्रोन हैं।”
एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर-बी ड्रोन को 40,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर लगभग 40 घंटे तक उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है। ये सटीक हमलों के लिए हेलफायर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों और स्मार्ट बमों से लैस होंगे। इन्हें चीनी सशस्त्र ड्रोनों से कहीं बेहतर माना जाता है।
अमेरिका ने 31 हथियारबंद MQ-9B ड्रोन और संबंधित उपकरणों के लिए 33,500 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत लगाई है। भारत इसकी लागत कम करने की दिशा में बात कर रहा है। उपकरणों में 170 हेलफायर मिसाइलें, 310 GBU-39B प्रेसिजन-गाइडेड ग्लाइड बम, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम शामिल भी हैं।
एक सूत्र ने कहा, “अमेरिकी सरकार और जनरल एटॉमिक्स द्वारा अन्य देशों को दी जाने वाली कीमत और शर्तों को ध्यान में रखा जा रहा है। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति से अंतिम मंजूरी के बाद इस कैलेंडर वर्ष के भीतर सौदे को पूरा करने के लिए सभी प्रयास चल रहे हैं।”
सशस्त्र बलों को उम्मीद है कि अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के कुछ वर्षों के भीतर पहले 10 MQ-9B ड्रोन शामिल किए जाएंगे।