मिड डे मील में स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, ये लोग नहीं बनाएंगे मिड डे मील

वहीं जिन वर्करों में कोई संक्रामक रोग है। उन्हें भी मिड-डे मील पकाने की परमिशन नहीं दी जाएगी। यह गाइडलाइन मौलिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी की गई है।

जानकारी के मुताबिक, नई गाइडलाइन के बारे में बीईओ के माध्यम से स्कूलों में भेजी जा रही है। निरीक्षण में खामियां मिलने पर स्कूल मुखिया जिम्मेदार होंगे। उनसे ही जवाब मांगा जाएगा। 

स्कूलों में पहली से आठवीं तक पढ़ रहे विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को लेकर मौलिक शिक्षा निदेशालय गंभीर है। इन कक्षाओं के बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील की सफाई को लेकर नई गाइडलाइन आई है।

एमडीएम वर्कर जिनके हाथ व पांव के नाखून बड़े हो रहे हैं या उन्हें किसी तरह का संक्रामक रोग है। इन वर्करों को मिड-डे मील पकाने से दूर रखा जाए। कुक को व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान देना होगा। साल में दो बार मेडिकल करान होगा। इसकी प्रति स्कूल में जमा करानी होगी। 

भोजन पकाने से पहले हाथ-पांव अच्छे से धोने होंगे। भोजन पकाने के बर्तन साफ रखने होंगे। इन बर्तनों में किसी तरह की गंदगी नहीं होनी चाहिए। बच्चों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील मिलावट वाला नहीं होना चाहिए। 

मानसून में खाद्य सामग्री के जल्दी खराब होने की आशंका रहती है। कुक सहित शिक्षकों को भी इस तरफ ध्यान देना होगा। गेहूं को अच्छे से साफ करने के बाद उसे पिसवाया जाए। स्कूल रसोई में स्टॉक ऐसे करें, जिससे वह खराब न हो।

ये बताया गया है नई गाइड लाइन में 

  • स्कूलों में पानी की टंकियों की माह में दो बार सफाई कराई जाए। ताकि बच्चों को साफ पानी मिल सके। 
  • बच्चों को खाने में मसाले, दालें व चना की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। इसकी शिक्षक अपने स्तर से जांच करेंगी। 
  • रोजाना ताजी सब्जी मेन्यू अनुसार खरीदी जाए।
  • खाना बनाते समय कुक एप्रन व ग्लब्स का प्रयोग करें। 
  • मिड-डे मील तैयार होने के बाद पहले शिक्षक खुद चेक करें। इसके कुछ देर बाद विद्यार्थियों को साफ बर्तन में परोसा जाए।
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