Haryana Weather Update: मानसून की सक्रियता से हरियाणा के इन शहरों में भारी बारिश की संभावना, मौसम विभाग का अलर्ट

Haryana Weather Update: हरियाणा में मानसून की वापसी के बाद से ही बारिश हो रही है। आज भी प्रदेश में बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने जा महेंद्रगढ़, नारनौल, रेवाड़ी पलवल और यमुनानगर में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है।

आंकड़ों के अनुसार अब तक सबसे ज्यादा 186.5 MM बारिश चरखी दादरी में दर्ज की गई है। गुरुवार को प्रदेश के महेंद्रगढ़, हिसार, गुरुग्राम, रोहतक, चरखी दादरी, कुरुक्षेत्र, पंचकूला, रेवाड़ी, रोहतक में बारिश का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) लगातार मानसून के सक्रिय होने और भारी बारिश की संभावना जताता रहा है।

विभाग के अनुसार अगस्त में अब तक प्रदेश में 37 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। सामान्य तौर पर आठ दिनों में प्रदेश में 44 MM बारिश हो जाती, लेकिन अब तक 60.2 MM बारिश हो चुकी है। वहीं जून से अगस्त तक राज्य में 29 फीसदी कम बारिश हुई है।

हरियाणा में आज का तापमान

हरियाणा में आज न्यूनतम तापमान 27.09 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। मौसम विभाग यानी IMD के अनुसार, दिनभर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है, अधिकतम तापमान 31.88 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। जबकि कल हरियाणा में न्यूनतम तापमान 28.18 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 35.64 डिग्री दर्ज किया गया था। मौसम में नमी की बात करें तो यह 64 प्रतिशत रही।

आज इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विज्ञानियों के अनुसार, राज्य के यमुनानगर, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात, पलवल जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा, राज्य के बाकी जिलों में भी बारिश की संभावना है।

राज्य में लगातार हो रही बारिश फसलों के लिए काफी अच्छी है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि कपास की फसल में पानी जमा न होने दें क्योंकि इससे नुकसान हो सकता है। खेत में पानी निकासी का उचित प्रबंध करें।

5 सालों में सबसे कम बारिश

इस बार हरियाणा में 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2018 में 549 मिमी बारिश हुई थी। 2019 में 244.8 मिमी, 2020 में 440.6 मिमी, 2021 में 668.1 मिमी, 2022 में 472 मिमी, 2023 में 390 मिमी और 2024 में 97.9 मिमी बारिश दर्ज की गई। कम बारिश के कारण राज्य के धान उत्पादक किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल के जरिए सिंचाई करनी पड़ रही है।

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