यह फैसला 1 अगस्त को डेरा शाह बलूचिस्तान जगमालवाली के प्रमुख संत बहादुर चंद वकील की मृत्यु के बाद लिया गया है। उनके निधन से डेरा के नेतृत्व को लेकर विवाद पैदा हो गया है। जिससे क्षेत्र में अशांति फैल गई है। ऐसे में क्षेत्र में किसी भी तरह का तनाव न फैल सके। इसके लिए हरियाणा सरकार ने एहतियातन यह कदम उठाया है।
हरियाणा सरकार की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सिरसा में तनाव और सार्वजनिक शांति भंग होने का काफी जोखिम है। इस निलंबन का उद्देश्य व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से गलत सूचना और भड़काऊ सामग्री के प्रसार को रोकना है। इसका उद्देश्य आगजनी और तोड़फोड़ जैसी संभावित हिंसक गतिविधियों को रोकना है।
संत बहादुर चंद वकील की मृत्यु के बाद से ही उनके उत्तराधिकारी को लेकर विवाद तेज हो गया है। उनके अनुयायी बंटे हुए हैं। कुछ लोग उनकी मृत्यु में गड़बड़ी का संदेह कर रहे हैं। जबकि अन्य लोग नेतृत्व संभालने के लिए आतुर हैं। इस वजह से सिरसा में तनाव बढ़ा दिया है। जिसके कारण सरकार को एहतियाती कदम उठाने पड़े हैं।
संत बहादुर चंद वकील का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया गया। इसके बावजूद डेरा की गद्दी को लेकर विवाद जारी है। हरियाणा सरकार के आदेश में कहा गया है कि झूठी अफवाह फैलाने के लिए इंटरनेट सेवाओं के दुरुपयोग के कारण सार्वजनिक उपयोगिताओं में बाधा पैदा करने और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचने की संभावना है।
आधिकारिक आदेश में बताया गया है कि सिरसा जिले में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये कार्रवाई आवश्यक है। यह 8 अगस्त 2024 को 23:59 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस आदेश का उल्लंघन करने पर लागू कानूनों के तहत कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
गलत सूचना को रोकने के साथ ही निलंबन का मकसद प्रदर्शनकारियों की किसी भी लामबंदी को रोकना है। जो अशांति फैलाने में शामिल हो सकते हैं। सरकार ऐसी किसी भी घटना से बचना चाहती है। जिससे सार्वजनिक और निजी दोनों संपत्तियों को नुकसान हो सकता है।
सरकार के अधिकारियों ने निवासियों से उनकी सुरक्षा और समुदाय की भलाई के लिए इन अस्थायी प्रतिबंधों का पालन करने का आग्रह किया है। सिरसा में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। क्योंकि विवाद के दोनों पक्ष डेरा जगमालवाली के नेतृत्व के बारे में आगे के घटनाक्रम का इंतजार कर रहे हैं।