पैरिस ओलंपिक में बिरोहड़ गांव के लाडले अमन सहरावत ने कांस्य पदक जीतकर रेसलिंग में पहला पदक जिताया है। जिस बेटे ने देश को पदक दिलाने का काम किया, उस बेटे अमन के घर तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। मिट्टी का कच्चा रास्ता ढाणी (खेतों) में बने घर तक जाता है।
बारिश के दिनों में रास्ते की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है। अमन के घर तक जाने का रास्ता ही नहीं बल्कि उसके घर पर बिजली तक नहीं है। कुएं की बिजली घर में सप्लाई होती है और वह भी चंद घंटे। घर पर सोलर पैनल के जरिये बिजली आपूर्ति होती है। आसपास के घरों में भी सोलर पैनल के जरिये ही बिजली रहती है। यहां तक की पानी की पाइप लाइन तक नहीं है। जमीन का पानी खारा है और ट्यूबवेल के पानी से काम चलाया जाता है।
परिजनों ने बताया कि जब अमन ओलंपिक खेलने के लिए जा रहा था तो बोला था कि वह इस बार पदक के साथ रोड लेकर आएगा, लेकिन उसके आने से पहले रोड बनेगा या नहीं यह प्रशासन या सरकार के हाथ में है। 21 वर्षीय अमन पेरिस में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुके हैं, लेकिन जिस धरती पर उन्होंने पदक जीतने के लिए मेहनत की है, वह गांव कब पेरिस बनेगा यह पता नहीं?
दादा से बोला अमन, अगली बार गोल्ड लेकर आऊंगा
रविवार सुबह अमन की अपने दादा मांगेराम से फोन पर बातचीत हुई। दादा मांगेराम ने बताया कि अमन की जीत की खुशी बयान नहीं की जा सकती। अमन ने उनसे कहा कि दादा इस बार ब्रोंज जीता है और अगली बार गोल्ड लेकर आऊंगा। वह अपने पोते का वापस आने का इंतजार कर रहे हैं। यहां आने पर गांव में भव्य स्वागत करेंगे। फिलहाल स्वागत को लेकर ग्रामीणों से चर्चा कर तिथि फाइनल की जाएगी।
ग्रामीण बोले, अमन के आने से पहले सुविधाएं दे सरकार
ग्रामीणों ने बातचीत में बताया कि यहां सुविधाएं नहीं है। अमन का घर भी खेत में है। रास्ता कच्चा है। यदि रात में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो 10 मिनट का रास्ता तय करने में एक घंटा लग जाता है। सरकार को चाहिए कि अमन के घर आने से पहले कम से रोड व बिजली की सुविधा प्रदान की जाए ताकि वह अच्छे ढंग से उसका स्वागत कर सकें।