दून हॉराइज़न, अंबाला (हरियाणा)
पंजाब हरियाणा की शंभू सीमा पर धरना दे रहे किसान नेताओं से मिलने पहुंचे शहर के कारोबारियों का जमकर विरोध हुआ। यहां देखते ही देखते तनाव की स्थिति बन गई। इस कारण कुछ समय बाद ही कारोबारी वहां से लौट आए। शाम होते-होते मामले ने तूल पकड़ लिया।
कारोबारियों का कहना था कि वे अपनी मांगों के लिए किसानों से मिलने गए थे। दूसरी ओर किसान नेताओं का कहना था कि दोपहर को कुछ लोग शंभू सीमा पर बने उनके मंच पर आए और स्टेज पर चढ़ने की जबरन कोशिश करने लगे। शाम होने तक मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि दोनों पक्षों को अपनी बात रखने के लिए प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी।
यह है पूरा मामला
दरअसल, शंभू सीमा पर करीब पांच माह से किसान अपनी मांगो के लिए डटे हैं। रविवार को भी भारी संख्या में किसान सीमा पर डटे थे। उनका स्टेज से संबोधन चल रहा था। इसी बीच अंबाला शहर के कुछ कारोबारी और स्थानीय लोग शंभू सीमा बंद होने के कारण प्रभावित हो रहे कारोबार से हताश होने के कारण समाधान की उम्मीद लेकर किसान नेताओं से बात करने पहुंचे। अभी कारोबारियों ने अपनी बातों को रखा ही था कि बहस हो गई। कारोबारियों का जमकर विरोध हुआ।
जबरन स्टेज पर चढ़ने की कोशिश की : किसान
इस मामले में किसानों की ओर से पत्रकारवार्ता कर अपना पक्ष रखते हुए भारतीय किसान यूनियन शहीद भगत सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहड़ी ने कहा कि रविवार दोपहर करीब एक बजे करीब 60 लोग शंभू सीमा पर बने हमारे मंच पर आ पहुंचे और जबरन स्टेज पर चढ़ने का प्रयास किया।
इस दौरान वहां पर महिलाएं भी मौजूद थीं। किसानों ने आरोप लगाया कि शहर से आए लोगों ने हाथापाई की कोशिश की। इसी दौरान वरिष्ठ किसान नेताओं और महिलाओं ने शांतिपूर्वक ढंग से उन्हें स्टेज से नीचे उतारा। किसानों की मांग है कि रविवार को जो भी घटना हुई।
इसमें हरियाणा और पंजाब पुलिस को उचित कार्रवाई करनी चाहिए। किसानाें का कहना है कि रास्ता उन्होंने नहीं सरकार ने बंद किया है। वह अपना आंदोलन शांतिपूर्वक तरीके से चला रहे हैं। इस आंदोलन में कई किसान आंखें और जान भी गवां चुके हैं। किसानों की तरफ से किसी को परेशानी नहीं होने दी जा रही।
किसानों के आरोप बुनियाद : कपड़ा व्यापारी
द होलसेल कपड़ा मार्केट एसोसिएशन प्रधान विशाल बत्तरा ने पत्रकारवार्ता कर कहा कि कपड़ा मार्केट के 10 से 12 लोग किसानों से बातचीत के लिए गए थे। किसान नेताओं ने उन पर आरोप लगाया कि कपड़ा मार्केट के प्रधान और वहां आए लोगों ने स्टेज कब्जाने की कोशिश की।
झगड़ा किया और माहौल खराब करने की कोशिश की। ऐसा कुछ नहीं है। यह सब बेबुनियाद है। हम कपड़ा व्यापारी हैं। हम अपनी बात रखने के लिए वहां गए थे। किसान आंदोलन में वे किसानों के साथ खड़े हैं। वहां उनके परिचित जय गोपाल का ईंट भट्ठा है।
पंजाब से लगते बॉर्डर के साथ इनका काम है। वहां के स्थानीय लोग इनके पास आए थे। उनका कहना था कि वह ज्ञापन देकर आए थे। कपड़ा व्यापारियों को भी साथ आने की अपील की थी। जब वे रविवार को वहां गए तो वहां देखा कि कुछ स्थानीय लोग आपस में तर्क कर रहे थे। उन्होंने देखा कि यहां बातचीत करने का माहौल नहीं है। वे तभी वापस आए गए। वहां से आने के बाद पता लगा कि उन ऊपर किसानों ने आरोप लगाए हैं।