विदेश से भारत लौटने के लिए युवाओं को चुकाना पड़ रहा है मोटा किराया, 26 मई को जींद के 25 छात्र लेंगे फ्लाइट
वर्तमान में जिले के करीब 42 छात्र किर्गिजस्तान में फंसे हुए हैं। इनमें से 25 विद्यार्थियों का टिकट बन चुका है। ये छात्र 26 मई को भारत के लिए उड़ान भरेंगे। इससे अभिभावकों ने राहत की सांस ली है।
लगातार बच्चों के संपर्क में रहने वाली कैरियर प्रोवाइडर की निदेशक एवं शैक्षणिक सलाहकार डॉ. कामिनी आशरी ने बताया कि वह इन विद्यार्थियों को किर्गिजस्तान से निकालने को लेकर प्रयास कर रही हैं। छात्रों के टिकट का खर्च भी उन्होंने अपनी जेब से भरा है।
अब तक 25 विद्यार्थियों के टिकट कन्फर्म हो चुके हैं। ये छात्र 26 मई को किर्गिजस्तान से उड़ान भरेंगे। बाकी बचे छात्रों के लिए भी टिकट का इंतजाम किया जा रहा है। ईश्वर की कृपा से सभी बच्चों को सकुशल किर्गिजस्तान से निकाल लिया जाएगा। इसमें भारत सरकार भी मदद कर रही है।
किर्गिजस्तान हिंसा का स्थानीय लोग उठा रहे फायदा
डॉ. आसरी ने कहा है कि किर्गिजस्तान हिंसा के बाद वहां खराब हुए हालात का फायद हर कोई उठा रहा है। पहले हवाई जहाज का टिकट 20-25 हजार रुपये में मिल जाता था। अब टिकट की कीमत 70 हजार रुपये कर दी गई है। परिजनों का कहना है कि उनके लिए पैसे कोई मायने नहीं रखते। बच्चों की जान ज्यादा कीमती है। अभिभावक अब प्रार्थना कर रहे हैं कि उनके बच्चे सुरक्षित देश लौट आएं।
छात्रों को रह-रहकर याद आ रहे खौफ के दिन
किर्गिजस्तान से फोन पर एक छात्र ने बताया कि यहां हालात खराब होने के बाद उनको ही पता है कि कैसे उन्होंने छिपकर अपनी जान बचाई है। दो दिन वह लोग भूखे पेट रहे और जान बचाते हुए अपने अभिभावकों से संपर्क किया। उनको वहां पर मारापीटा गया।
अस्पताल में इलाज भी नहीं करवाने दिया। गनीमत रही है उनके शरीर में कोई टूट-फूट नहीं हुई, केवल लाठी-डंडों का दर्द सहा है। रह-रहकर यह बात उनको याद आती है। उनके बचने का बड़ा कारण उनका एक साथ रहना भी रहा। वह 25 युवक एक साथ रहते हैं और इस दुख की घड़ी में उन्होंने डटकर विरोधियों का सामना किया है।