नॉनस्टिक बर्तन में पका खाना कैंसर का कारण बन सकता है। इसलिए नॉनस्टिक को छोड़कर लोहे या स्टील जैसे बर्तनों में खाना बनाना अच्छा होता है। लेकिन स्टील के पैन या कड़ाही में जब भी कुछ पकाने के लिए डालते हैं तो वो तली में चिपक जाता है। अगर आपके साथ ही अक्सर ऐसा हो जाता है। तो जान लें स्टील के बर्तनों में खाना पकाने की टिप्स। जिसकी मदद से खाना चिपकेगा नहीं।
स्टील की कड़ाही या पैन का तापमान सही हो
स्टील के पैन में या कड़ाही में जब भी कुछ पकाने के लिए डाल रही हों तो ध्यान रखें कि बर्तन सही तरीके से गरम हो। बर्तन की गर्माहट इतनी होनी चाहिए कि ना ज्यादा जलने लगे और ना ही कम गरम हो। नहीं तो तेल के डालते ही उसमे से मॉइश्चर निकलकर तली पर आ जाएगा और खाना चिपकने लगेगा। अब समस्या ये है कि कैसे पता करें कि स्टील के बर्तन का तापमान सही है। तो इस तापमान को पता करने के दो तरीके हैं।
जब स्टील का पैन अच्छी तरह से गरम हो जाए तो उस पर कुछ बूंद पानी की डालें। अगर पानी तेज आवाज के साथ जल जाता है तो इसका मतलब है कि पैन बहुत ज्यादा गर्म हो गया है।
वहीं अगर पैन में पानी डालने पर फ्लोट हो रहा तो इसका मतलब कि पैन कम गरम है।
स्टील का बर्तन अगर सही तापमान पर गर्म होगा तो पानी कुछ बूंद डालते ही वो मोती की तरह यहां वहां तैरने लगेगी। जब पानी इस तरह से तैरे तब समझ जाएं कि स्टील के कड़ाही या पैन का तापमान बिल्कुल सही है। अब इस तापमान पर इसमे तेल या खाना पकाने का सामान डाला जाना चाहिए।
बटर के जरिए भी स्टील के पैन या कड़ाही की गर्माहट पता की जा सकती है। जब पैन अच्छी तरह से गर्म हो गया हो तो इस पर बटर डालें। अगर बटर हल्का सा मेल्ट हो गया और बाकी धीरे-धीरे हो रहा तो इसका मतलब है कि स्टील के कड़ाही, पैन का तापमान बिल्कुल सही है।
स्टील के बर्तन में खाना चिपकने से कैसे बचाएं
अब स्टील के पैन या कड़ाही की गर्माहट पता चल गई है तो इसमे हल्का सा तेल लगाएं और कपड़े से पोंछें। एक बार फिर पानी के छीटें मारे। जब ये छींटे मोती की तरह गोल होकर इधर-उधर फैलने लगे तो फिर से हल्का सा तेल लगाएं। बस तैयार है स्टील का बर्तन, इसका इस्तेमाल सब्जी बनाने या ऑमलेट बनाने में आराम से किया जा सकता है। कुछ भी नहीं चिपकेगा।