चुनाव में उतरने से पहले ही उद्धव सेना ने कांग्रेस से की ये मांग, नहीं लेना चाहती कोई रिस्क

इस बीच उद्धव सेना ने तो कांग्रेस और शरद पवार गुट की एनसीपी से एक गारंटी की ही मांग कर दी है। उद्धव सेना का कहना है कि चुनाव में उतरने से पहले ही इस बात को तय कर लिया जाए कि यदि महाविकास अघाड़ी सत्ता तक पहुंचता है तो फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ही होंगे। वह 2019 में मुख्यमंत्री बने थे और सरकार को कांग्रेस एवं एनसीपी ने समर्थन दिया था।

वह करीब ढाई साल तक सीएम रहे थे, लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे के पालाबदल से तख्तापलट हो गया था। यहां तक कि पार्टी में भी बड़ी फूट पैदा हो गई थी। विपक्षी गठबंधन के एक नेता ने कहा कि उद्धव सेना चाहती है कि पहले ही उनके नेता के नाम पर सहमति बन जाए।

इसके बाद ही सीट शेयरिंग पर बात हो। यही नहीं उद्धव सेना सीटों में भी सबसे बड़ा शेयर चाहती है। ऐसा इसलिए कि उसे लगता है कि यदि कांग्रेस ज्यादा सीटों पर लड़ी और चुनाव बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो फिर सीएम पद पर दावा ठोक सकती है।

इसलिए उद्धव सेना कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और पहले ही गारंटी मांग रही है। बीते सप्ताह उद्धव ठाकरे दिल्ली आए थे। उनके साथ बेटे आदित्य और पार्टी के सीनियर नेता संजय राउत भी साथ थे। उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी।

इसके अलावा शरद पवार से भी मिले थे। इस दौरान इन सभी नेताओं से उद्धव सेना ने एक ही मांग की कि पहले ही सीएम पद पर फैसला कर लिया जाए। दरअसल 2019 में शिवसेना और भाजपा के बीच चुनाव नतीजों के बाद इसी मसले पर जंग छिड़ गई थी।

शिवसेना का कहना था कि भाजपा की ओर से वादा किया गया था कि चुनाव जीतने के बाद उसके नेता को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। वहीं भाजपा ने ऐसे किसी पैक्ट से इनकार कर दिया था। ऐसे में 2019 से सबक लेते हुए उद्धव सेना अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।

वहीं कांग्रेस भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। उसने 17 लोकसभा सीटों पर उतरकर 13 पर जीत हासिल की। वहीं उद्धव सेना को 21 में से 9 और शरद पवार गुट को 10 में से 8 पर जीत मिली थी। ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि उसे जनता ने राज्य की सबसे बड़ी पार्टी माना है। इसलिए महाराष्ट्र में ज्यादा सीटों पर उसकी दावेदारी ही बनती है। इस खींचतान को देखते हुए अगले कुछ दिन अहम होंगे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.