चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में जोश के साथ आक्रोश भी है कि आखिर ये क्या टाइमिंग है, देश में चुनाव है।
आम आदमी पार्टी ऐसी पार्टी है जो दस साल में नेशनल पार्टी बन गई, सबसे ज्यादा तेजी से उभरने वाली पार्टी, दो स्टेट में सरकार, 10 हमारे राज्य सभा के सांसद, एक हमारा लोकसभा का सांसद, पांच हमारे गुजरात में विधायक, दो हमारे विधायक गोवा में, सिंगरौली में हमारा मेयर, चंडीगढ़ में हमारा मेयर। भाजपा से ये बर्दाश्त नहीं हो रहा है, उन्हें लगता है कि हम इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
यह सिर्फ राजनीतिक विद्वेश की कार्रवाई है। ये सबको गिरफ्तार कर लेना चाहते हैं, विपक्ष को छोड़ना ही नहीं चाहते। शरद पवार की पार्टी तोड़ दी, शिवसेना का चुनाव चिन्ह छीन लिया, दुष्यंत चौटाला को इस्तेमाल करके फेंक दिया, नीतीश कुमार को फिर लेकर आ गए।
हिमाचल में इन्होंने सरकार को तोड़ने की कोशिश की। महाराष्ट्र में सरकार तोड़ी, मध्य प्रदेश में सरकारें तोड़ी, विधायक खरीदे, यह खरीद-फरोख्त वाली राजनीति बहुत खतरनाक होती है।
23 मार्च को शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव को फांसी दी गई थी। वो देश की आजादी मांग रहे थे, वो अपनी कुर्बानियों की वजह से चले गए। हमे वोटर कार्ड मिला, हमारा वोटर कार्ड भी सुरक्षित नहीं है।
पता ही नहीं चल रहा है कि क्या हो रहा है। ये किसी को चुनाव लड़ने नहीं दे रहे हैं, इनका कहना है कि हमीं लड़ेंगे, हमीं जीतेंगे। लेकिन आम आदमी पार्टी एक पार्टी नहीं बल्कि सोच है। अरविंद केजरीवाल एक व्यक्ति नहीं बल्कि सोच है। उसको तो गिरफ्तार कर लोगे, उसकी सोच को कैसे गिरफ्तार करोगे। घर-घर में केजरीवाल पैदा हो चुके हैं।