गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल से इंटरव्यू मामले में कई उच्च अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल से इंटरव्यू मामले में कई उच्च अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस मामले में एसआईटी ने कार्रवाई की है। 

एसआईटी ने अपनी जांच में खुलासा किया था कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू पंजाब पुलिस की कस्टडी में सीआईए (क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) के खरड़ थाने (मोहाली) में हुआ था। यह इंटरव्यू सितंबर 2022 में रिकॉर्ड किया गया और सात माह बाद मार्च 2023 में जारी किया गया था।

ऐसे में वर्ष 2022-23 में जो पुलिस अधिकारी व स्टाफ लॉरेंस से पूछताछ कर रहे थे और जिन अधिकारियों के पास सीआईए का चार्ज था उनके ऊपर कार्रवाई तय थी। एसआईटी की रिपोर्ट से पंजाब सरकार के उस दावे की पोल खुल गई है, जिसमें कहा गया था कि इंटरव्यू पंजाब में नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने स्पेशल डीजीपी ह्यूमन राइट्स प्रबोध कुमार की अध्यक्षता वाली एसआईटी टीम को मामले की जांच सौंपी थी।

मानसा कोर्ट में पेश करने के बाद आया था सीआईए थाना

दरअसल सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में एसआईटी और एजीटीएफ ने लॉरेंस बिश्नोई से सीआईए खरड़ थाने में पूछताछ की थी। लारेंस को सुबह साढ़े 4 बजे मानसा कोर्ट में पेश करने बाद खरड़ के सीआईए थाने में लाया गया था। पुलिस 2 बुलेटप्रूफ गाड़ियों में लॉरेंस को पंजाब लाई थी। इस दौरान 50 अफसरों की टीम मौजूद थी।

पंजाब में घुसते ही पूरा रूट सैनिटाइज कराया गया था। पूरे रास्ते की वीडियोग्राफी भी की गई थी। लॉरेंस के आसपास कड़ा सुरक्षा घेरा था। सिर्फ चुनिंदा अफसरों को ही लॉरेंस के करीब जाने की इजाजत थी।

मानसा के अधिकारी करते थे पूछताछ

उस समय एजीटीएफ में विक्रम बराड़ व अन्य आलाधिकारी तैनात थे। वहीं, इन दो वर्षों के कार्यकाल में सीआईए स्टाफ का चार्ज मोहाली पुलिस के इंस्पेक्टर शिव कुमार के पास था और उस समय डीएसपी गुरशेर सिंह संधू थे। लारेंस से पूछताछ मानसा के डीएसपी व अन्य आलाधिकारी करते थे। ऐसे में अब एसआईटी इस बात की जांच करेगी कि सीआईए स्टाफ जेल में बंद लारेंस को मोबाइल व इंटरनेट की सुविधा किस ने मुहैया करवाई। इतने कड़े सुरक्षा प्रबंध में किस अधिकारी ने लारेंस तक फोन पहुंचाया।

बेखौफ इंटरव्यू देना बताता है डर नहीं था

इंटरव्यू में लॉरेंस बेखौफ होकर अपनी बात कह रहा है, जिससे साफ जाहिर होता है कि उसे पुलिस का डर नहीं था, क्योंकि पुलिस कस्टडी में ही उसका इंटरव्यू चल रहा था। जाहिर सी बात है कि अगर लॉरेंस के पास जाने की अनुमति चुनिंदा अधिकारियों को थी तो ऐसे में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से ही उस तक फोन पहुंचाया गया था।

वीडियो को सात महीने तक इसलिए नहीं चलाया ताकि पुलिस अधिकारियों पर कोई गाज न गिरे। इसलिए जब वीडियो आउट हुआ तो यह दिखाया गया कि इंटरव्यू कहीं बाहर से दिया गया है। करीब 7 माह लारेंस से खरड़ के सीआईए थाने में पूछताछ हुई और उसी दैरान उसका इंटरव्यू लिया गया।

एसआईटी रिकवर करेगी मोबाइल

एसआईटी उस मोबाइल को भी रिकवर करेगी जिससे लारेंस ने निजी चैनल वाले को अपना इंटरव्यू दिया था। हाइकोर्ट ने इस मामले में पंजाब के डीजीपी को भी सहयोग करने को कहा है।

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