पंजाब में सियासी उलटफेर: परमपाल कौर ने छोड़ी नौकरी, भाजपा में शामिल

परमपाल ने वीआरएस की प्रक्रिया इसलिए अपनाई थी ताकि उनको नौकरी छोड़ने के बाद वे सभी लाभ मिल सकें, जो किसी भी आईएएस अधिकारी को उसका कार्यकाल समय पूरा होने के बाद रिटायरमेंट पर मिलते हैं। लेकिन अब उन्हें वीआरएस के तहत मिलने वाले लाभ नहीं मिलेंगे।

परमपाल कौर पंजाब स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में मैनेजिंग डायरेक्टर थीं। जब उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग वर्मा को अपना इस्तीफा सौंपा, उस दौरान उनका तत्काल इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। 

इसके बाद, परमपाल कौर दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गई थीं, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें बठिंडा से प्रत्याशी घोषित कर दिया था। इसे लेकर पंजाब सरकार और परमपाल कौर में खूब तनातनी भी रही। सीएम मान ने परमपाल को चेताया भी कि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है। ऐसे में उनकी जिंदगी भर की कमाई खतरे में पड़ सकती है। इसके बाद उन्होंने केंद्र को अपना इस्तीफा भेज दिया, जो स्वीकार कर लिया गया था।

तुरंत ड्यूटी ज्वॉइन करने को कहा था…

मंगलवार को पंजाब सरकार ने उनको नोटिस जारी कर कहा था कि वे तुरंत अपनी ड्यूटी जॉइन करें, क्योंकि उनको तीन महीने के नोटिस पीरियड से छूट नहीं दी गई है। वे ड्यूटी से रिलीव या रिटायर नहीं मानी जा सकती हैं। ड्यूटी जॉइन न करने की सूरत में उनको उचित कार्रवाई की चेतावनी जारी की गई थी।

इसके जवाब में परमपाल कौर ने कहा कि केंद्र सरकार ने मुझे सेवा मुक्त कर किया है। पंजाब सरकार को जो कारवाई करनी है करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि जब वे सेवामुक्त ही हो चुकी हैं तो ऐसे में अब पंजाब सरकार का तो कोई मतलब ही नहीं बनता कि उन्हें नोटिस भेजे। 

केंद्र सरकार की ओर से जो पत्र पंजाब सरकार को भेजा गया उसमें कहा गया था कि परमपाल कौर का इस्तीफा आल इंडिया सर्विस रूल के सर्विस 3 के तहत मंजूर किया गया है। यह नियम केंद्र सरकार को उन आईएएस अफसरों के इस्तीफे मंजूर करने की शक्तियां देता है, जिनके इस्तीफा राज्य सरकारों द्वारा मंजूर नहीं किए जाते।

दरअसल, केंद्र सरकार का परसोनल और ट्रेनिंग विभाग आईएएस आफिसरों की नियुक्तियां करता है। इसके बाद उनकी नियुक्तियां अलग-अलग राज्यों में की जाती हैं। अगर राज्य की ओर से ऐसे अफसरों के इस्तीफे मंजूर न किए जाएं तो केंद्र सरकार के पास इस्तीफे को मंजूर करने की शक्तियां हैं।

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