पंजाब की सुरक्षा पर उठे सवाल, HC ने पैरोल मामले में लगाई फटकार

हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को परिवार से मिलने के लिए पैरोल देने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने की दलील देते हुए पंजाब सरकार ने इनकार कर दिया है। अब इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है। 

हाईकोर्ट ने कहा कि एक कैदी को पैरोल से राज्य की व्यवस्था पर क्या फर्क पड़ेगा। अगर राज्य की सुरक्षा इतनी कमजोर है तो हमें इस पर टिप्पणी करनी होगी।

होशियारपुर निवासी सुरेंद्र सिंह हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था और पिछले 4 साल 9 माह से जेल में था। उसने अपने परिवार से मिलने के लिए आठ सप्ताह की पैरोल मांगी थी। पैरोल को जिला मजिस्ट्रेट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर खारिज कर दिया था। 

एसएसपी ने रिपोर्ट में कहा था कि याची को पैरोल देने से सार्वजनिक व्यवस्था पर असर पड़ेगा। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एकमात्र मामला नहीं है, सार्वजनिक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा के रखरखाव के आधार पर यांत्रिक आदेश पारित करके पंजाब में पैरोल के मामलों को खारिज कर दिया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि हमें सुधार के लिए कैदियों को रिहा करना है ताकि जब वे रिहा हों तो वे एक सुधरे हुए व्यक्ति हों। जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने डीजीपी गौरव यादव से पूछा कि एक कैदी की रिहाई से राज्य की सुरक्षा पर क्या असर पड़ेगा, अगर राज्य की सुरक्षा इतनी कमजोर है, तो हमें इस पर टिप्पणी करनी होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने डीजीपी से पूछा जब उसके खिलाफ कोई अन्य मामला दर्ज नहीं है, तो वह व्यक्ति समाज के लिए खतरा कैसे हो सकता है।

पंजाब सरकार ने इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय देने की मांग की है। इस पर हाईकोर्ट ने डीजीपी से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि राज्य में पैरोल के आवेदन को केवल सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा होने को आधार बनाकर यांत्रिक तरीके से अस्वीकार न किया जाए। कोर्ट ने डीजीपी से यह भी कहा कि वे आवश्यक निर्देश जारी करें ताकि यह फिर से न दोहराया जाए अन्यथा उन्हें हर सुनवाई पर कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। इस पर जवाब देने के लिए सरकार ने कुछ समय देने की मांग की जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 23 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

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