पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। आइए जानते हैं भाद्रपद महीने की पूर्णिमा की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और उपाय-
भाद्रपद पूर्णिमा पूजा-विधि
पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें
भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी का जलाभिषेक करें
माता का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
अब मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें
मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
भाद्रपद पूर्णिमा की व्रत कथा का पाठ करें
श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें
पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
माता को खीर का भोग लगाएं
चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें
अंत में क्षमा प्रार्थना करें
उपाय
मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। वैवाहिक दिक्कतें दूर करने के लिए लक्ष्मी नारायण की जोड़े में पूजा करें और माता को शृंगार का समान भी चढ़ाएं।
मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 17, 2024 को सुबह 11:44 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – सितम्बर 18, 2024 को सुबह 08:04 बजे
पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय – शाम 18:37 बजे
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान स्नान और दान करने का खास महत्व है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। इसलिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान किया जाता है।