चाणक्य नीति: चाणक्य के अनुसार, ये हैं वो परिस्थितियाँ जिनमें बुद्धिमान भी नहीं बच पाते कष्ट से

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई मुश्किल प्रश्नों का उत्तर दिया है। एक श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि किन परिस्थितियों में बुद्धिमान व्यक्ति को कष्ट उठाने पड़ते हैं। पढ़ें नीति शास्त्र का ये श्लोक व इसका अर्थ-

मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति।।

नीति शास्त्र में वर्णित इस श्लोक का अर्थ है- मूर्ख शिष्य को उपदेश देने, दुष्ट स्त्री का पालन-पोषण करने, धन बर्बाद होने और दुखी व्यक्ति के साथ व्यवहार रखने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट उठाना पड़ता है।

चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देने से कोई लाभ नहीं होता, वरना सज्जन व बुद्धिमान व्यक्ति हानि उठाते हैं। उदाहरण के लिए बया और बंदर की कहानी आपको याद होगी। मूर्ख बंदर को घर बनाने की सलाह देकर बया को अपने घोंसले से ही हाथ धोना पड़ा था। इस तरह दुष्ट व कुलटा स्त्री का पालन-पोषण करने से सज्जन व बुद्धिमान व्यक्तियों को भी दुख मिलता है।

नीति शास्त्र के अनुसार, आचार्य चाणक्य का अर्थ दुखी व्यक्तियों से व्यवहार रखने से है जो व्यक्ति अनेक रोगों से पीड़ित है और जिनका धन नष्ट हो चुका है, ऐसे लोगों से किसी तरह का रिश्ता रखना बुद्धिमान व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है।

अनेक रोगों का तात्पर्य संक्रामक रोग से हैं। बहुत से लोग संक्रामक रोगों से ग्रस्त होते हैं, उनकी संगति से स्वयं रोगी होने का अंदेशा रहता है। जिन लोगों का धन नष्ट हो चुका है या जो लोग दिवालिया हो गए हैं। उनपर भरोसा करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

दुखी व्यक्ति का अर्थ यहां पर विषादग्रस्त व्यक्ति से भी है। ऐसे लोगों का दुख से उबरना बहुत कठिन हो जाता है और उन्हें असफलता ही हाथ लगती है। चाणक्य कहते हैं कि जो लोग सच में दुखी हैं और उससे बाहर आना चाहते हैं, ऐसे लोगों का सहयोग करना चाहिए। दुखी व्यक्ति से स्वार्थी ही बचता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.