क्या आप जानते हैं शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद क्यों नहीं खाते? जानिए शिवजी से जुड़ा ये रहस्य

पंचांग के अनुसार, इस साल सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हो रही है और इसका समापन 19 अगस्त को इसका समापन होगा। सावन महीने में शिव पूजन के दौरान भोलेनाथ को भोग के रूप में फल, फूल समेत कई प्रकार के खाद्य पदार्थ चढ़ाएं जाते हैं।

ऐसा करने बेहद शुभ फलदायी भी माना गया है। लेकिन मान्यता है कि शिवलिंग पर चढ़ाया हुए भोग का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही इसे घर पर ले जाना चाहिए। आइए जानते हैं कि शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद के सेवन करने की क्यों मनाही होती है?

शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद क्यों नहीं खाना चाहिए?

शिवपुराण में शिव पर प्रसाद चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की मनचाही मुरादें पूरी करते हैं। ऐसा करने से जातक से जाने-अनजाने में हुई पापों से छुटकारा मिलता है और व्यक्ति को सभी रोग-दोषों से राहत मिलती है। शिवलंग पर प्रसाद चढ़ाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

हालांकि, पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिवजी के मुख से चंडेश्वर नामक गण प्रकट हुआ था। चंडेश्वर को भूत-प्रेतों का प्रधान माना जाता है। इसलिए शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद को ग्रहण करने की मनाही होती है। माना जाता है कि शिवलिंग का प्रसाद चंड़ेश्वर यानी भूत-प्रेतों के लिए होता है। खासतौर पर साधारण पत्थर, चीनी मिट्टी और मिट्टी से बने शिवलिंग का प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

ऐसे प्रसाद को आप खाने के बजाए नदी में प्रवाहित कर सकते हैं। इसके अलावा तांबे, सोने, चांदी, पारद समेत धातुओं से बने शिवलिंग पर चढ़ा हुए प्रसाद का सेवन किया जा सकता है। इन धातुओं से बनी शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद खाने से कोई दोष नहीं लगता है और आप इसे घर भी ले सकते हैं। वहीं, शिवजी की प्रतिमा पर चढ़े प्रसाद का सेवन करने से किसी भी प्रकार का दोष नहीं लगता है।

शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने के नियम :

  • शिवलिंग पर तुलसी दल और हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • प्रसाद हमेशा पीतल या चांदी के धातु के पात्र में रखकर भोग लगाएं।
  • कभी भी भोग जमीन पर रखकर नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को भगवान के पास से उठा लें।
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