सावन के पावन महीने की शुरुआत बस होने ही वाली है। यह पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित है। हिंदू धर्म को मानने वाले भगवान भोलेनाथ के भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति भावना के साथ उन्हें मनाने में लग जाते हैं। कहा जाता है कि सावन में भोलेनाथ स्वयं पृथ्वी पर भ्रमण करने आते हैं।
जिसके चलते वो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हमारे शास्त्रों में भी कई तरह के विधि-विधान, व्रत उपवास बताए गए हैं जो भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करवाने में मदद करते हैं। आज हम आपको शास्त्रों में वर्णित पार्थिव शिवलिंग की पूजन विधि, इसे बनाने का तरीका आदि सबके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
इस तरह बनता है पार्थिव शिवलिंग
पार्थिव शिवलिंग का अर्थ होता है मिट्टी का शिवलिंग। सावन के महीने में अपने हाथों से शिवलिंग बनाकर उसका पूजने करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्त की सारी कठिनाइयां दूर करते हैं। इसे बनाने के लिए आपको सबसे पहले थोड़ी सी मिट्टी की जरूरत होगी।
शिव पुराण के मुताबिक पार्थिव शिवलिंग को बनाने के लिए ऐसी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाना जिसपर किसी तरह की गंदगी ना की गई हो। अगर आपको ऐसे मिट्टी नहीं मिलती है तो आप अपने गमले की मिट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
गंगाजल का करें इस्तेमाल
पार्थिक शिवलिंग को बनाने के लिए गंगाजल का इस्तेमाल करना चाहिए। साफ मिट्टी को लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिला लें। चिकनाई के लिए थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी भी मिला सकते हैं। अब गाय का दूध, दही और शुद्ध देसी घी मिलाकर मिट्टी को अच्छे से गूंथकर तैयार कर लें।
एक बेलपत्र लें और उसके ऊपर मिट्टी से शिवलिंग जैसा आकर बनाना शुरू कर दें। शिवलिंग को अच्छी शेप देने के लिए आप उसमें रूई मिला सकते हैं। हाथों की मदद से धीरे-धीरे शिवलिंग की आकृति बनाते जाएं। आपका पार्थिव शिवलिंग बनकर तैयार हो जाएगा। आप चाहें तो शिवलिंग के ऊपर एक सांप की आकृति भी बना सकते हैं।
इस तरह करें पूजा पाठ
एक बार आपका पार्थिव शिवलिंग बनकर तैयार हो जाए तो एक थाली में रखकर मंदिर में स्थापित कर लें। पूरे सावन के महीने में इसकी पूजा करें। चंदन और अक्षत की मदद से शिवलिंग का श्रृंगार करें। सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। ध्यान रहे इसे अपने हाथों से ही बनाएं और बनाते समय शिव का जाप करते रहें।