धार्मिक दृष्टि से ये व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर रखा जाता है। हरतालिका तीज पर इस साल शुक्ल योग के साथ रवि योग, हस्त नक्षत्र व चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। महिलाएं निर्जला व्रत रख सुख व सौभाग्य की कामना करेंगी। यह पूजा विशेष तौर पर सुबह और शाम के समय की जाती है। आइए पंडित जानते हैं पूजा का सही मुहूर्त, व पूजा की विधि-
हरतालिका तीज व्रत पर शुभ संयोग
2024 की हरतालिका तीज पर ब्रह्म योग, शुक्ल योग, रवि योग, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ये सभी योग शुभ माने जाते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, सुबह 09.25 मिनट से 7 सितंबर सुबह 06.02 बजे तक रवि योग रहेगा। शुक्ल योग 5 सितंबत की शाम से शुरू होकर रात 10.15 बजे तक रहेगा, जिसके बाद ब्रह्म योग का निर्माण होगा। हस्त नक्षत्र सुबह 09:25 ए एम तक रहेगा, जिसके बाद चित्रा नक्षत्र लग जाएगा।
उदया तिथि के अनुसार, व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। भाद्रपद मास, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर, दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 6 सितंबर दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक ही रहेगी। ऐसे में कई लोगों को लेकर कन्फ्यूजन है कि संध्या में हरितालिका तीज का पूजन कैसे होगा।
पुजारी जी ने बताया कि निश्चित ही तृतीया तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3.01 बजे तक ही है, लेकिन यह तृतीया तिथि चतुर्थी युक्त है। शास्त्रों में स्पष्ट अंकित है कि चतुर्थी सहिताय यातु सातृतीया फलप्रदा: अर्थात चतुर्थी युक्त तृतीया तिथि में हरितालिका तीज का व्रत शुभ फल देने वाला है। इसलिए पूरे दिन और संध्या में भी हरतालिका तीज का व्रत-पूजन किया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां पार्वती ने भी हरतालिका तीज का व्रत किया था।
सुबह में पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष विज्ञान के जानकार ने बताया कि हरतालिका तीज पर सुबह 06.02 बजे से 08.33 बजे तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का शुभ समय रहेगा।
शाम में पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम की पूजा गोधूलि मुहूर्त में शुभ मानी जाती है। दृक पंचांग के अनुसार, 6 सितंबर को 06:36 पी एम से 06:59 पी एम तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा।
हरतालिका तीज पूजा-विधि
सबसे पहले चौकी सजाएं। चौकी के चारों-ओर केले के पत्तों को कलावे से बांध दें। साफ कपड़ा बिछाकर कलश की स्थापना करें। गणेश जी को प्रणाम करें। इस पूजन में मिट्टी या रेत से शिव परिवार बनाकर पूजा किया जाता है।
प्रभु का जलाभिषेक करें। 16 श्रृंगार का सामान, अगरबत्ती, धूप, दीप, शुद्ध घी, पान, कपूर, सुपारी, नारियल, चंदन, फल, फूल के साथ आम, केला, बेल व शमी के पत्ते से पूजा करें। हरतालिका तीज व्रत की कथा का पाठ करें। फिर आरती के बाद श्रद्धा के साथ भोग लगाकर क्षमा-याचना करें।